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________________ ठाणं (स्थान) स्थान ६ : सूत्र २४ - २६ १. सुषम- सुषमा, २. सुषमा, सुसम सुसमा, सुसमा, सुसम दूसमा, दूसम- सुसमा, दूसमा, दूसमदुसमा । ३. सुषम दुःषमा, ४. दुःषम- सुषमा, ५. दु:षमा, ६. दुःषम- दुःषमा । २४. छव्विहा उस्सप्पिणी पण्णत्ता, तं षड्विधा उत्सर्पिणी प्रज्ञप्ता, तद्यथा— २४. उत्सर्पिणी के छह प्रकार हैं— जहा - दुस्सम- दुस्समा, 'दुस्समा, दुस्समसुसमा, सुसम - दुस्समा, सुसमा सुसम सुसमा । २५. जंबुद्दीवे दीवे भरहेर एसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसम सुसमाए समाए मणुया छ धणुसहस्साई उड्डमुच्चत्तेणं हुत्था, छच्च अद्धपलि - ओवमाई परमाउं पालयित्था । २६. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु इसे ओस विणीए सुसम सुसमाए समाए मया छ धणुसहस्साइं उड्डमुच्चतेणं पण्णत्ता, अद्धपलिओ माई पालयित्था । छच्च परमाउं २७. जंबुद्दीवे दोवे भरहेरवएसु वासेसु आगमेस्साए उस्सप्पिणीए सुसम - सुसमा समाए मणुया छ धणुसहस्साई उड्डमुच्चत्तेण भविस्संति, छच्च अद्धपलिओ माई परमाउं पालइस्संति । २८. जंबुद्दीवे दीवे देवकुरु - उत्तरकुरुकुरा मया छ धणुसहस्साई उड्ड उच्तणं पण्णत्ता, छच्च अद्धपलिओ माई परमाउं पालेंति । २६. एवं संदीपुर स्थिमद्धे चत्तारि आलावगा जाव पुक्खरवरदीवडूपच्चत्थिमद्धे चत्तारि आलावगा । Jain Education International ६६१ सुषम-सुषमा, सुषमा, सुषम- दुःषमा, दुःषम-सुषमा, दुःषमा, दुःषम दुःषमा । दुःषम- दुःषमा, दुःषमा, दुःषम-सुषमा, सुषम दुःषमा, सुषमा, सुषम- सुषमा । जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः अतीतायां उत्सर्पिण्यां सुषम-सुषमायां समायां मनुजाः पड् धनुःसहस्राणि ऊर्ध्वं उच्चत्वेन अभुवन्, षड् च अर्द्धपल्योपमानि परमायुः अपालयन् । जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः अस्यां अवसर्पिण्यां सुषम-सुषमायां समायां मनुजाः षड् धनुःसहस्राणि ऊर्ध्वं उच्चत्वेन प्रज्ञप्ताः, षड् च अर्द्धपल्योपमानि परमायुः अपालयन् । जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः आगमिष्यन्त्यां उत्सर्पिण्यां सुषमसुषमायां समायां मनुजाः षड् धनु:सहस्राणि ऊर्ध्वं उच्चत्वेन भविष्यन्ति, षड्च अर्द्धपल्योपमानि परमायुः पालयिष्यन्ति । जम्बूद्वीपे द्वीपे देवकुरूत्तरकुरुकुर्वीः मनुजाः षड् धनुःसहस्राणि ऊर्ध्वं उच्चत्वेन प्रज्ञप्ताः, षड् च अर्द्धपल्योपमानि परमायुः पालयन्ति । एवं धातकीषण्डद्वीप पौरस्त्यार्थे चत्वारः आलापकाः यावत् पुष्करवरद्वीपार्धपाश्चात्यार्धे चत्वारः आलापकाः । For Private & Personal Use Only १. दुःषम दुःषमा, २. दु:षमा, ४. सुषम दुःषमा, ३. दु:षम-सुषमा, ५. सुषमा, ६. सुषम- सुषमा । २५. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत - ऐरवत क्षेत्र की अतीत उत्सर्पिणी के सुषम- सुषमा काल में मनुष्यों की ऊंचाई छह हजार धनुष्य की थी तथा उनकी उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की थी। २६ जम्बूद्वीप द्वीप के भरत - ऐरवत क्षेत्र में वर्तमान अवसर्पिणी के सुषम-सुषमा काल में मनुष्यों की ऊंचाई छह हजार धनुष्य तथा उनकी उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की है। २७. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत ऐरवत क्षेत्र की आगामी उत्सर्पिणी के सुषम-सुषमा काल में मनुष्यों की ऊंचाई छह हजार धनुष्य होगी तथा उनकी उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की होगी । २८. जम्बूद्वीप द्वीप में देवकुरु तथा उत्तरकुरु में मनुष्यों की ऊंचाई छह हजार धनुष्य तथा उनकी उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की है। २६. इसी प्रकार धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध और पश्चिमार्ध तथा अर्ध पुष्करवरद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी मनुष्यों की ऊंचाई (सू० २६-२८ वत्) । छह हजार धनुष्य तथा उनकी आयु तीन पल्योपम की थी है और होगी। www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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