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________________ ठाणं (स्थान) ५७० स्थान ५: सूत्र ७५-७६ हेउ-पदं हेतु-पदम् ७५. पंच हेऊ पण्णता, तं जहा- पञ्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा हेउं ण जाणति, हे ण पासति, हेतुं न जानाति, हेतुं न पश्यति, हेउं ण बुज्झति, हेउं णाभिगच्छति, हेतु न बुध्यते, हेतुं नाभिगच्छति, हेउं अण्णाणमरणं मरति। हेतु अज्ञानमरणं म्रियते । पञ्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाहेतुना न जानाति, हेतुना न पश्यति, हेतुना न बुध्यते, हेतुना नाभिगच्छति, हेतुना अज्ञानमरणं म्रियते। ७६. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा हेउणा ण जाणति, 'हेउणा ण पासति, हेउणा ण बुज्झति, हेउणा णाभिगच्छति, हेउणा अण्णाणमरणं मरति । ७७. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा.- हे जाणइ, हेउं पासइ, हेउं बुज्झइ हेउं अभिगच्छइ, हे छउमत्थमरणं मरति । हेतु-पद ७५. हेतु (परोक्षज्ञानी) पांच हैं ... १. हेतु को नहीं जानने वाला, २. हेतु को नहीं देखने वाला, ३. हेतु पर श्रद्धा नहीं करने वाला, ४. हेतु को प्राप्त नहीं करने वाला, ५. सहेतुक अज्ञानमरण मरने वाला। ७६. हेतु पांच हैं १. हेतु से नहीं जानने वाला, २. हेतु से नहीं देखने वाला, ३. हेतु से श्रद्धा नहीं करने वाला, ४. हेतु से प्राप्त नहीं करने वाला, ५. सहेतुक अज्ञानमरण से मरने वाला। ७७. हेतु पांच हैं १. हेतु को जानने वाला, २. हेतु को देखने वाला, ३. हेतु पर श्रद्धा करने वाला, ४. हेतु को प्राप्त करने वाला, ५. सहेतुक छद्मस्थ-मरण मरने वाला। ७८. हेतु पांच हैं १. हेतु से जानने वाला, २. हेतु से देखने वाला, ३. हेतु से श्रद्धा करने वाला, ४. हेतु से प्राप्त करने वाला, ५. सहेतुक छद्मस्थ-मरण से मरने वाला। पञ्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाहेतुं जानाति, हेतुं पश्यति, हेतुं बुध्यते, हेतु अभिगच्छति, हेतु छद्मस्थमरणं म्रियते। ७८. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा- पञ्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा हेउणा जाणइ, 'हेउणा पासइ, हेतुना जानाति, हेतुना पश्यति, हेउणा बुज्झइ, हेउणा अभिगच्छइ,° हेतुना बुध्यते, हेतुना अभिगच्छति, हेउणा छउमत्थमरणं मरइ। हेतुना छद्मस्थमरणं म्रियते । अहेउ-पदं ७६. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा अहेउं ण जाणति, 'अहेउं ण पासति, अहेउं ण बुज्झति, अहेउं णाभिगच्छति, अहेउं छउमत्थमरणं मरति । अहेतु-पदम् पञ्च अहेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाअहेतुं न जानाति, अहेतुं न पश्यति, अहेतुं न बुध्यते, अहेतु नाभिगच्छति, अहेतु छद्मस्थमरणं म्रियते। अहेतु-पद ७६. अहेतु पांच है १. अहेतु को नहीं जानने वाला, २. अहेतु को नहीं देखने वाला, ३. अहेतु पर श्रद्धा नहीं करने वाला, ४. अहेतु को प्राप्त नहीं मरने वाला, ५. अहेतु छद्मस्थ-मरण मरने वाला। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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