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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : टि० १४१
१४१ (सू० ६४४) :
काव्य के मुख्य प्रकार दो ही होते हैं --गद्य और पद्य । गद्य-काव्य छन्द आदि के बंधन से मुक्त होता है। पद्य-काव्य छन्द से निबद्ध होता है। कथ्य और गेय-ये दोनों काव्य के स्वतन्त्र प्रकार नहीं हैं। कथ्य का समावेश गद्य में और गेय का समावेश पद्य में होता है, अतः ये वस्तुतः गद्य और पद्य के ही अवान्तर प्रकार हैं। फिर भी स्वरूप की विशिष्टता के कारण इन्हें स्वतन्त्र स्थान दिया गया है। कथ्य-काव्य कथात्मक और गेय-काव्य संगीतात्मक होता है।'
। सामति सा हा काय अवस्वः
१. स्थानांगवृत्ति, पत्र २७४ : काव्य-प्रन्थः-गद्यम् अच्छन्दो
निबद्ध शस्त्रपरिज्ञाध्ययन वत् पद्य-छन्दोनिबद्ध विमुक्त्यध्ययनवत्, कथायां साधु कथ्यं ज्ञाताध्ययनवत्, गेयं-मान
योभ्यं, इह गद्यपद्यान्तर्भावपीतरयोः कथागानधर्मविशिष्टतया विशेषो विवक्षित इति ।
या वातावरण कायमचलिर
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