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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ५८५-५८६ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाउत्ताणे णाममेगे उत्ताणहिदए, उत्तान: नामैक: उत्तानहृदयः, १. कुछ पुरुष आकृति से भी अगंभीर होते उत्ताणे णाममेगे गंभीरहिदए, उत्तानः नामैक: गम्भीरहृदयः, हैं और हृदय से भी अगंभीर होते हैं गंभीरे णाममेगे उत्ताणहिदए, गम्भीर: नामैक: उत्तानहृदयः, २. कुछ पुरुष आकृति से अगंभीर होते हैं, गंभीरे णाममेगे गंभीरहिदए। गम्भीर: नामैक: गम्भीरहृदयः । पर हृदय से गंभीर होते हैं ३. कुछ पुरुष
आकृति से गंभीर होते हैं, पर हृदय से अगंभीर होते हैं ४. कुछ पुरुष आकृति से भी गंभीर होते हैं और हृदय से भी गंभीर
होते हैं। ५८५. चत्तारि उदगा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारि उदकानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-५८५. उदक चार प्रकार के होते हैं
उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्तानं नामैक: उत्तानावभासि, १. एक उदक प्रतल होता है और स्थानउत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी, उत्तानं नामैक गम्भीरावभासि, विशेष के कारण प्रतल ही लगता है, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोभासी, गम्भीरं नामक उत्तानावभासि, २. एक उदक प्रतल होता है, पर स्थानगंभीरे णाममेगे गंभीरोभासी। गम्भीर नामक गम्भीरावभासि । विशेष के कारण गंभीर लगता है, ३. एक
उदक गंभीर होता है, पर स्थान-विशेष के कारण प्रतल लगता है, ४. एक उदक गंभीर होता है और स्थान-विशेष के कारण
गंभीर ही लगता है। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाउत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्तानः नामक: उत्तानावभासी, १. कुछ पुरुष तुच्छ ही होते हैं और उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी, उत्तान: नामकः गम्भीरावभासी, तुच्छता का प्रदर्शन करने से तुच्छ ही गंभीरे णाममेगे उत्ताणोभासी, गम्भीर: नामैकः उत्तानावभासी, लगते हैं, २. कुछ पुरुष तुच्छ ही होते हैं, गंभीरे णाममेगे गंभीरोभासी। गम्भीर: नामैक: गम्भीरावभासी। पर तुच्छता का प्रदर्शन न करने से गंभीर
लगते हैं, ३. कुछ पुरुष गंभीर होते हैं, पर तुच्छता का प्रदर्शन करने से तुच्छ लगते है, ४. कुछ पुरुष गंभीर होते हैं और तुच्छता का प्रदर्शन न करने से गंभीर ही
लगते हैं। ५८६. चत्तारि उदही पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः उदधयः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५८६. समुद्र चार प्रकार के होते हैं
उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदही, उत्तान: नामक: उत्तानोदधिः, १. समुद्र के कुछ भाग पहले भी प्रतल उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदही, उत्तानः नामक: गम्भीरोदधिः, होते हैं और बाद में भी प्रतल ही होते हैं,
२. समुद्र के कुछ भाग पहले प्रतल होते हैं
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