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स्थान ४ : सूत्र ५५६-५६२
ठाणं (स्थान)
४५७ कंपए, पराणुकंपए णाममेगे, णो कम्पकः, परानुकम्पक: नामैकः, नो आयाणुकंपए, एगे आयाणुकंपएवि, आत्मानुकम्पकः, एकः आत्मानुकम्पकोपराणुकंपए वि, एगे णो आयाणु- ऽपि, परानुकम्पकोऽपि, एक: नो कंपए, णो पराणुकंपए। आत्मानुकम्पकः, नो परानुकम्पकः।
परहित में प्रवृत्त नहीं होते, जैसेजिनकल्पिक मुनि, २. कुछ पुरुष परानुकंपक होते हैं, पर आत्मानुकंपक नहीं होते, जैसे—कृतकार्य तीर्थकर, ३. कुछ पुरुष आत्मानुकंपक भी होते हैं और परानुकंपक भी होते हैं, जैसे-स्थविर कल्पिक मुनि, ४. कुछ पुरुष न आत्मानुकंपक होते हैं और न परानुकंपक ही होते हैं, जैसे-क्रूरकर्मा पुरुष ।१२५
संवास-पदं संवास-पदम्
संवास-पद ५५६. चउविहे संवासे पण्णत्ते, तं जहा- चतुर्विधः संवासः प्रज्ञप्तः, तद्यथा- ५५६. संवास-मैथुन चार प्रकार का होता हैदिवे आसुरे रक्खसे माणुसे। दिव्यः, आसुरः, राक्षसः, मानुषः । १. देवताओं का, २. असुरों का,
३. राक्षसों का, ४. मनुष्यों का। ५६०. चउविधे संवासे पण्णत्ते, तं जहा— चतुर्विधः संवासः प्रज्ञप्तः, तद्यथा- ५६०. संवास चार प्रकार का होता है
देवे णाममेगे देवीए सद्धि संवासं देवः नामकः देव्या साधं संवासं गच्छति, १. कुछ देव देवियों के साथ संवास करते गच्छति, देवे णाममेगे असुरीए देवः नामकः असुर्या साधू संवासं गच्छति, हैं, २. कुछ देव असुरियों के साथ संवास सद्धि संवासं गच्छति, असुरे णाम- असुरःनामैकः देव्या साधं संवासं गच्छति, करते हैं, ३. कुछ असुर देवियों के साथ मेगे देवीए सद्धि संवासं गच्छति, असुरः नामैकः असुर्या साधू संवासं संवास करते हैं, ४. कुछ असुर असुरियों असुरे गाममेगे असुरीए सद्धि गच्छति ।
के साथ संवास करते हैं। संवासं गच्छति । ५६१. चउव्विधे संवासे पण्णत्ते, तं जहा- चतुर्विधः संवासः प्रज्ञप्तः, तद्यथा- ५६१. संवास चार प्रकार का होता है
देवे णाममेगे देवीए सद्धि संवासं देव: नामकः देव्या सार्ध संवासं गच्छति, १. कुछ देव देवियों के साथ संवास करते गच्छति, देवे णाममेगे रक्खसीए देवः नामैक: राक्षस्या साध संवासं हैं, २. कुछ देव राक्षसियों के साथ संवास सद्धि संवासं गच्छति, रक्खसे गच्छति, राक्षसः नामैकः देव्या सार्ध करते हैं, ३. कुछ राक्षस देवियों के साथ णाममेगे देवीए सद्धि संवासं संवासं गच्छति, राक्षस: नामकः राक्षस्या संवास करते हैं, ४. कुछ राक्षस राक्षसियों गच्छति, रक्खसे णाममेगे रक्ख- साध संवासं गच्छति।
के साथ संवास करते हैं। सीए सद्धि संवासं गच्छति । ५६२. चाउध्विधे संवासे पण्णत्ते, तं जहा- चतुर्विधः संवासः प्रज्ञप्तः, तद्यथा- ५६२. संवास चार प्रकार का होता है.---
देवे णाममेगे देवीए सद्धि संवासं देवः नामकः देव्या साध संवासं गच्छति, १. कुछ देव देवियों के साथ संवास करते गच्छति, देवे णाममेगे मणुस्सीए देवः नामैक: मानुष्या साधू संवासं हैं, २. कुछ देव मानुषियों के साथ संवास सद्धि संवासं गच्छति, मणुस्से गच्छति, मनुष्यः नामैक: देव्या सार्धं करते हैं, ३. कुछ मनुष्य देवियों के साथ णाममेगे देवीए सद्धि संवासं संवासंगच्छति, मनुष्यःनामकः मानुष्या संवास करते हैं, ४. कुछ मनुष्य मानुषियों गच्छति, मणुस्से णाममेगे मणु- सार्धं संवासं गच्छति।
के साथ संवास करते हैं। स्सीए सद्धि संवासं गच्छति ।
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