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________________ ठाणं (स्थान) ४२३ स्थान ४ : सूत्र ४५३-४५७ अविणीए, विगइपडिबद्धे, अविनीतः, विकृतिप्रतिबद्धः, १. अविनीत, २. विकृति-प्रतिबद्ध, अविओसवितपाहुडे, माई। अव्यवशमितप्राभृतः, मायी। ३. अव्यवशमित-प्राभृत, ४. मायावी । ४५३. चत्तारि वायणिज्जा पण्णत्ता, तं चत्वारः वाचनीयाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ४५३. चार वाचनीय होते हैं जहाविणोते, अविगतिपडिबद्धे, विनीतः, अविकृतिप्रतिबद्धः, १. विनीत, २. विकृति-अप्रतिबद्ध, विओसवितपाहुडे, अमाई। व्यवशमितप्राभृतः, अमायी। ३. व्यवशमित-प्राभृत, ४. अमायावी। जहा.--- आय-पर-पदं आत्म-पर-पदम् आत्म-पर-पद ४५४. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४५४. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातदयथा १. कुछ पुरुष आत्मभर [अपने-आप को आतंभरे णाममेगे, णो परंभरे, आत्मम्भरि: नामकः, नो परम्भरिः, भरने वाले होते हैं, परंभर दूसरों को परंभरे णाममेगे, णो आतंभरे, परम्भरिः नामकः, नो आत्मम्भरिः, भरने वाले नहीं होते, २. कुछ पुरुष परंएगे आतंभरेवि, परंभरेवि, एक: आत्मम्भरिरपि, परम्भरिरपि, भर होते हैं, आत्मभर नहीं होते, ३. कुछ एगे णो आतंभरे, णो परंभरे। एक: नो आत्मम्भरिः, नो परम्भरिः। पुरुष आत्मभर भी होते हैं और परंभर भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष आत्मभर भी नहीं होते और परंभर भी नहीं होते। दुग्गत-सुग्गत-पदं दुर्गत-सुगत-पदम् दुर्गत-सुगत-पद ४५५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४५५. पुरुष चार प्रकार के होते हैं --- तद्यथा १. कुछ पुरुष धन से भी दुर्गत-दरिद्र होते दुग्गए णाममेगे दुग्गए, दुर्गत: नामैकः दुर्गत:, हैं और ज्ञान से भी दुर्गत होते हैं, २. कुछ दुग्गए णाममेगे सुग्गए, दुर्गत: नामकः सुगतः, पुरुष धन से दुर्गत होते हैं, पर ज्ञान से सुग्गए णाममेगे दुग्गए, सुगतः नामकः दुर्गतः, सुगत-समृद्ध होते हैं, ३. कुछ पुरुष धन से सुग्गए णाममेगे सुग्गए। सुगत: नामैकः सुगतः। सुगत होते हैं, पर ज्ञान से दुर्गत होते हैं, ४. कुछ पुरुष धन से सुगत होते हैं और ज्ञान से भी सुगत होते हैं। ४५६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४५६. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष दुर्गत और दुर्बत होते हैं, दुग्गए णाममेगे दुव्वए, दुर्गतः नामैक: दुव्रतः, २. कुछ पुरुष दुर्गत और सुव्रत होते हैं, दुग्गए णाममेगे सुव्वए, दुर्गत: नामैक: सुव्रतः, ३. कुछ पुरुष सुगत और दुव्रत होते हैं, सुग्गए णाममेगे दुव्वए, सुगत: नामैकः दुर्वतः, ४. कुछ पुरुष सुगत और सुव्रत होते हैं। सुग्गए णाममेगे सुव्वए। सुगत: नामैक: सुव्रतः। ४५७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४५७. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहा तद्यथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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