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ठाणं (स्थान)
सारहि-पदं
३७६. चत्तारि सारही पण्णत्ता, तं जहाजोयावइत्ता णामं एगे, णो विजोयावइत्ता, विजोयावइत्ता णामं एगे, णो जोयावइत्ता,
एगे जोयावइत्तावि, विजोयावइत्तावि,
एगे णो जोयावइत्ता,
णो विजोयावइत्ता ।
३८०.
जुत्त- अजुत्त-पदं
चत्तारि
'हया पण्णत्ता,
जुत्ते णामगे जुत्ते, जुत्ते णाममे अजुत्ते,
अजुत्ते णाममेगे जुत्ते,
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,
पण्णत्ता, तं जहा -
जोयावइत्ता णामं एगे,
णो विजोयावइत्ता, विजयावइत्ता णामं एगे, णो जोयावइत्ता,
एगे जोयावइत्तावि, विजयावइत्तावि,
एगे णो जोयावइत्ता, विजोयावइत्ता ।
णो
तं
अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते ।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया
पण्णत्ता, त जहातं जुत्ते णाममेगे जुत्ते, जुणा अजुत्ते,
अजुत्ते णामगे जुत्ते अजुत्ते णामगे अजुत्ते ।
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जहा
३६५
सारथि -पदम्
चत्वारः सारथयः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा— योजयिता नामकः, नो वियोजयिता, वियोजयिता नामैकः, नो योजयिता, एक: योजयितापि, वियोजयितापि, एक: नो योजयिता, नो वियोजयिता
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तद्यथा-योजयिता नामैकः, नो वियोजयिता, वियोजयिता नामैकः, नो योजयिता, एक: योजयितापि, वियोजयितापि, एक: नो योजयिता, नो वियोजयिता ।
युक्त अयुक्त-पदम्
चत्वारः हयाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथायुक्तः नामैकः युक्तः, युक्तः नामकः अयुक्तः,
अयुक्तः नामैक: युक्तः,
अयुक्तः नामैक: अयुक्तः । एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,
तद्यथा-
युक्तः नामकः युक्तः, युक्त: नामैक: अयुक्तः,
अयुक्तः नामैक: युक्तः, अयुक्तः नामैकः अयुक्त: ।
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स्थान ४ : सूत्र ३७-३८०
सारथि - पद
३७६. सारथि चार प्रकार के होते हैं----
१. कुछ सारथि योजक होते हैं, किन्तु वियोजक नहीं होते बैल आदि को गाड़ी से जोड़ने वाले होते हैं पर मुक्त करने वाले
नहीं होते, २. कुछ सारथि वियो जक होते हैं, किन्तु योजक नहीं होते, ३. कुछ सारथि योजक भी होते हैं और वियोजक भी होते हैं, ४. कुछ सारथि योजक भी नहीं होते और वियोजक भी नहीं होते ।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं—
१. कुछ पुरुष योजक होते हैं, किन्तु वियोक नहीं होते, २. कुछ पुरुष वियोजक होते हैं, किन्तु योजक नहीं होते, ३. कुछ पुरुष योजक भी होते हैं और वियोजक भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष योजक भी नहीं होते और वियोजक भी नहीं होते ।
युक्त - अयुक्त पद ३८०. घोड़े चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ घोड़े युक्त होकर युक्त ही होते हैं, २. कुछ घोड़े युक्त होकर भी अयुक्त होते हैं, ३. कुछ घोड़े अयुक्त होकर भी युक्त होते हैं, ४. कुछ घोड़े अयुक्त होकर अयुक्त ही होते हैं।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ पुरुष युक्त होकर युक्त ही होते हैं, २. कुछ पुरुष युक्त होकर भी अयुक्त होते हैं, ३. कुछ पुरुष अयुक्त होकर भी युक्त होते हैं, ४. कुछ पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त ही होते हैं ।
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