SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 434
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ठाणं (स्थान) ३६३ स्थान ४ : सूत्र ३७५-३७६ इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, पण्णत्ता, तं जहा तद्यथाजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, युक्तः नामकः युक्तशोभः, जुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे, युक्तः नामैक: अयुक्तशोभः, अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अयुक्त: नामकः युक्तशोभः, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे। अयुक्तः नामैक: अयुक्तशोभः । १. कुछ पुरुष युक्त और युक्त शोभा वाले होते हैं-धन आदि से समृद्ध होकर शोभा-सम्पन्न होते हैं, २. कुछ पुरुष युक्त होकर अयुक्त शोभा वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष अयुक्त होकर युक्त शोभा वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त शोभा वाले होते हैं। ३७५. चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारि यु ग्यानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-- ३७५. युग्य [बैल, अश्व आदि की जोड़ी] चार जुत्ते णाममेगे जुत्ते, युक्तं नामैकं युक्तं, प्रकार के होते हैंजुत्ते णाममेगे अजुत्ते, युक्तं नामैकं अयुक्त, १. कुछ युग्य युक्त होकर युक्त होते हैंअजुत्ते णाममेगे जुत्ते, अयुक्तं नामैक युक्तं, बाह्य उपकरणों से युक्त होकर वेग से भी अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते। अयुक्तं नामैकं अयुक्तम् । युक्त होते हैं, २. कुछ युग्य युक्त होकर अयुक्त होते हैं, ३. कुछ युग्य अयुक्त होकर युक्त होते हैं, ४. कुछ युग्य अयुक्त होकर अयुक्त होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा हैं--१. कुछ पुरुष युक्त होकर युक्त होते जुते गाममेगे जुत्ते, युक्त: नामैक: युक्तः, हैं—सम्पदा से युक्त होकर वेग से भी जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, युक्त: नामैक: अयुक्तः, युक्त होते हैं, २. कुछ पुरुष युक्त होकर अजुत्ते णाममेगे जुत्ते अयुक्तः नामकः युक्तः, अयुक्त होते हैं, ३. कुछ पुरुष अयुक्त अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते। अयुक्तः नामैकः अयुक्तः। होकर युक्त होते हैं, ४. कुछ पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त होते हैं। ३७६. 'चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारि युग्यानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- ३७६. युग्य चार प्रकार के होते हैं--- जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, युक्तं नामक युक्तपरिणतं, १. कुछ युग्य युक्त होकर युक्त-परिणत जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते, युक्तं नामक अयुक्तपरिणतं, होते हैं, २. कुछ युग्य युक्त होकर अयुक्तअजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, अयुक्तं नामक युक्तपरिणतं, परिणत होते हैं, ३. कुछ युग्य अयुक्त अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते। अयुक्तं नामैकं अयुक्तपरिणतम् । होकर युक्त-परिणत होते हैं, ४. कुछ युग्य अयुक्त होकर अयुक्त-परिणत होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, । इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा तद्यथा For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy