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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४: सूत्र २७८-२८० २७८. तमुक्काते णं चत्तारि कप्पे तमस्कायः चतुरः कल्पान् आवृत्य २७८. तमस्काय चार कल्पों को आवृत किए हुए आवरित्ता चिट्ठति, तं जहा- तिष्ठति, तद्यथा
हैं-१. सौधर्म, २. ईशान, सोधम्मीसाणं सणंकुमार-माहिंदं। सौधर्मेशानौ सनत्कुमार-माहेन्द्रौ । ३. सनत्कुमार, ४. माहेन्द्र।
दोस-पदं दोष-पदम्
दोष-पद २७६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २७६. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. प्रगट में दोष सेवन करने वाला, संपागडपडिसेवी णाममेगे, संप्रकटप्रतिषेवी नामैकः,
२. छिपकर दोष सेवन करने वाला, पच्छण्णपडिसेवी णाममेगे, प्रच्छन्नप्रतिषेवी नामकः,
३. इष्ट वस्तु की उपलब्धि होने पर पडुप्पण्णणंदी णाममेगे, प्रत्युत्पन्ननन्दी नामैकः,
आनन्द मनाने वाला, ४. दूसरों के चले णिस्सरणणंदी णाममेगे। निःसरणनन्दी नामकः ।
जाने पर आनन्द मनाने वाला अथवा अकेले में आनन्द मनाने वाला।
जय-पराजय-पदं जय-पराजय-पदम्
जय-पराजय-पद २८०. चत्तारि सेणाओ पण्णत्ताओ, तं चतस्रः सेनाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- २८०. सेना चार प्रकार की होती हैजहा
१. कुछ सेनाएं विजय करती हैं, किन्तु जइत्ता णाममेगा, णो पराजिणित्ता, जेत्री नामैका, नो पराजेत्री, पराजित नहीं होती, २. कुछ सेनाएं परापराजिणित्ता णाममेगा, णो जइत्ता, पराजेत्री नामैका, नो जेत्री,
जित होती हैं, किन्तु विजय नहीं पातीं, एगा जइत्तावि, पराजिणित्तावि, एका जेत्र्यपि, पराजेयपि,
३. कुछ सेनाएं कभी विजय करती हैं और एगाणो जइत्ता, णो पराजिणित्ता। एका नो जेत्री, नो पराजेत्री। कभी पराजित हो जाती हैं, ४. कुछ सेनाएं
न विजय ही करती हैं और न पराजित ही
होती हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा- तद्यथा...
हैं--१. कुछ पुरुष [कष्टों पर विजय जइत्ता णाममेगे, णो पराजिणित्ता, जेता नामैकः, नो पराजेता,
पाते हैं पर [उनसे] पराजित नहीं होतेपराजिणित्ता णाममेगे, णो जइत्ता, पराजेता नामकः, नो जेता, जैसे श्रमण भगवान् महावीर, २. कुछ एगे जइत्तावि, पराजिणित्तावि, एक: जेतापि, पराजेतापि,
पुरुष [कष्टों से पराजित होते हैं पर एगे णो जइत्ता, णो पराजिणित्ता। एक: नो जेता, नो पराजेता। [उनसे] विजय नहीं पाते-जैसे कुण्ड
रीक, ३. कुछ पुरुष [कष्टों पर] कभी विजय पाते हैं कौर कभी उनसे पराजित हो जाते हैं-जैसे शैलक राजर्षि, ४. कुछ पुरुष न [कष्टों पर] विजय ही पाते है और न [उनसे] पराजित ही होते हैं।
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