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________________ ( ३४ ) २१०-२१३. संवत्सरों के प्रकार और उनके भेद २१४. आत्मा का शरीर से बहिर्गमन करने के मार्ग २१५. छेदन के प्रकार २१६. आनन्तर्य के प्रकार २१७. अनन्त के प्रकार २१८. ज्ञान के प्रकार २१६. ज्ञानावरणीय कर्म के प्रकार २२०. स्वाध्याय के प्रकार २२१. प्रत्याख्यान के प्रकार २२२. प्रतिक्रमण के प्रकार २२३. सूत्रों के अध्यापन का हेतु २२४. श्रुत-अध्ययन के हेतु २२५. विमानों के वर्ण २२६. विमानों की ऊंचाई २२७. देव-शरीर की ऊंचाई २२८-२२६. कर्म-पुद्गलों का वर्ण-रस २३०-२३१. भरत क्षेत्र में गंगा और सिन्ध में मिलने वाली महानदियां २३२-२३३. ऐरबतक्षेत्र की महानदियां २३४. कुमारावस्था में प्रवजित तीर्थकर २३५. चमरचंचा की सभाएं २३६. इन्द्र की सभाएं २३७. पांच तारों वाले नक्षत्र २३८. पाप-कर्मरूप में निर्वतित पुद्गल २३६-२४०. पुद्गल पद १७. सुख के प्रकार १८. असुख के प्रकार १६. प्रायश्चित्त के प्रकार २०. मनुष्य के प्रकार २१. ऋद्धिमान् पुरुषों के प्रकार २२. अनृद्धिमान् पुरुषों के प्रकार २३-२६. काल के भेद-प्रभेद तथा मनुष्यों की ऊंचाई और ___ आयु-परिमाण ३०. संहनन के प्रकार ३१. संस्थान के प्रकार ३२. अनात्मवान् के लिए अहित के हेतु ३३. आत्मवान् के लिए हित के हेतु ३४-३५. आर्य मनुष्य ३६. लोकस्थिति के प्रकार ३७-४०. दिशाएं और उनमें गति-आगति ४१-४२. आहार करने और न करने के कारणों का निर्देश ४३. उन्माद-प्राप्ति के हेतु ४४. प्रमाद के प्रकार ४५-४६. प्रमाद और अप्रमाद युक्त प्रतिलेखना के प्रकार ४७-४६. लेश्याएं ५०-५१. अग्रमहिषियां ५२. देवस्थिति ५३-५४. महत्तरिकाएं ५५-५८. अग्रमहिषियां ५६-६०. सामानिक देव ६१-६४. सांब्यावहारिक प्रत्यक्ष ज्ञान के भेद-प्रभेद ६५-६६. बाह्य और आभ्यन्तर तप के भेद ६७. विवाद के अंग ६८. क्षुद्र प्राणियों के प्रकार ६६. गोचरचर्या के प्रकार ७०-७१. अतिनिकृष्ट महानरकावास ७२. विमान-प्रस्तट ७३-७५. नक्षत्र ७६. कुलकर की ऊंचाई ७७. राजा भरत का राज्यकाल ७८. अर्हत् पार्श्व के वादियों की संख्या ७६. बासुपूज्य के साथ प्रवजित होने वालों की संख्या ८०. चन्द्रप्रभ अर्हत् का छद्मस्थकाल ८१-८२. त्रीन्दिय जीवों के प्रति संयम-असंयम ८३. अकर्मभूमियां ८४. जम्बूद्वीप के क्षेत्र ८५. वर्षधर पर्वत छठा स्थान १. गण-धारण करने वाले पुरुषों के गुणों का निर्देश २. श्रमण द्वारा श्रमणी को सहारा देने के हेतु ३. कालप्राप्त सार्मिक का अन्त्य-कर्म ४. छद्मस्थ और केवली के ज्ञान की इयत्ता ५. असंभव-कार्य ६ जीवनिकाय के प्रकार ७. तारों के आकार वाले ग्रह ८. संसारी जीवों के प्रकार ९-१०. जीवों की गति-आगति ११. ज्ञान के आधार पर जीवों के प्रकार १२. तणवनस्पतिकायिक जीवों के प्रकार १३. दुर्लभ स्थान १४. इन्द्रियों के विषय १५. संवर के प्रकार १६. असंवर के प्रकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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