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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ४६-४८ ४६. चत्तारि वत्था पण्णत्ता,तं जहा- चत्वारि वस्त्राणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- ४६. वस्त्र चार प्रकार के होते हैंसुई णामं एगे सुइपरिणते, शुचि नामक शुचिपरिणतं,
१. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुचि और शुचिसुई णामं एगे असुइपरिणते, शुचि नामक अशुचिपरिणतं,
परिणत होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से असुई णाम एगे सुइपरिणते, अशुचि नामैक शुचिपरिणतं, शुचि, किन्तु अशुचि-परिणत होते हैं, असुई णाम एगे असुइपरिणते। अशुचि नामैकं अशुचिपरिणतम् । ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुचि, किन्तु
शुचि-परिणत होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति
से अशुचि और अशुचि-परिणत होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा
हैं-१. कुछ पुरुष शरीर से शुचि और सुई णाम एगे सुइपरिणते, शुचिर्नामकः शुचिपरिणतः, शुचि-परिणत होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर सुई णाम एगे असुइपरिणते, शुचिर्नामैक: अशुचिपरिणतः, से शुचि, किन्तु अशुचि-परिणत होते हैं, असुई णामं एगे सुइपरिणते, अशुचिर्नामकः शुचिपरिणतः, ३. कुछ पुरुष शरीर से अशुचि, किन्तु असुई णामं एगे असुइपरिणते। अशुचिर्नामकः अशुचिपरिणतः । शुचि-परिणत होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर
से अशुचि और अशुचि-परिणत होते हैं। ४७. चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारि वस्त्राणि प्रज्ञप्तानि, तदयथा- ४७. वस्त्र चार प्रकार के होते हैंसुई णाम एगे सुइरूवे, शुचि नामैकं शुचिरूपं,
१. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुचि और शुचिसुई णाम एगे असुइरूवे, शुचि नामैकं अशु चिरूपं,
रूप वाले होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से असुई णामं एगे सुइरूवे,
शुचि, किन्तु अशुचि-रूप वाले होते हैं, अशुचि नामक शुचिरूपं,
३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुचि, किन्तु असुई णाम एगे असुइरूवे। अशुचि नामैकं अशुचिरूपम् ।
शुचिरूप वाले होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति
से अशुचि और अशुचि-रूप वाले होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा
हैं-१. कुछ पुरुष शरीर से शुचि और सुई णामं एगे सुइरूवे, शुचिर्नामैकः शुचिरूपः,
शुचि-रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सुई णाम एगे असुइरूवे, शुचिर्नामक: अशुचिरूपः,
शरीर से शुचि, किन्तु अशुचि-रूप वाले असुई णामं एगे सुइरूवे,
होते हैं, ३. कुछ पुरुष शरीर से अशुचि, अशुचिर्नामैकः शुचिरूपः,
किन्तु शुचि-रूप वाले होते हैं, ४. कुछ असुई णाम एगे असुइरूवे। अशुचिर्नामकः अशुचिरूपः ।
पुरुष शरीर से अशुचि और अशुचि-रूप
वाले होते हैं। ४८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४८. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष शरीर से शुचि और शुचिसुई णामं एगे सुइमणे, शुचिर्नामैकः शुचिमनाः,
मन वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर सुई णामं एगे असुइमणे, शुचिर्नामैक: अशुचिमनाः, से शुचि, किन्तु अशुचि-मन वाले होते हैं, असुई णामं एगे सुइमणे, अशुचिर्नामकः शुचिमनाः, ३. कुछ पुरुष शरीर से अशुचि, किन्तु असुई णामं एगे असुइमणे। अशुचिर्नामैक: अशुचिमना:। शुचि मन वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर
से अशुचि और अशुचि मन वाले होते हैं।
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