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________________ ठाणं (स्थान) २४१ स्थान ३ : सूत्र ४४७-४४६ अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं चरित्रातिचारम् । व्यावर्तन करना चाहिए पडिवज्जेज्जा, तं जहा विशोधि करनी चाहिए णाणातिचारस्स, दंसणातिचारस्स फिर वैसा नहीं करने का संकल्प करना चरित्तातिचारस्स। चाहिए यथोचित प्रायश्चित्त तथा तपःकर्म स्वीकार करना चाहिए१.ज्ञानातिचार की, २. दर्शनातिचार की, ३. चरित्रातिचार की। ४४७. तिण्हमणायाराणं त्रीन् अनाचारान्—आलोचयेत् प्रति- ४४७. तीन प्रकार के अनाचारों कीआलोएज्जा पडिक्कमेज्जा कामेत् निन्देत् गर्हेत व्यावर्तेत विशो- आलोचना करनी चाहिए णिदेज्जा गरहेज्जा धयेत् अकरणतया अभ्युत्तिष्ठेत यथार्ह प्रतिक्रमण करना चाहिए विउद्देज्जा पिसोहेज्जा प्रायश्चित्तं तपःकर्म प्रतिपद्येत, तद्यथा- निन्दा करनी चाहिए अकरणयाए अन्भुट्टज्जा ज्ञान-अनाचार, दर्शन-अनाचारं, गर्दा करनी चाहिए अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं चरित्र-अनाचारम् । व्यावर्तन करना चाहिए पडिवज्जेज्जा, तं जहा विशोधि करनी चाहिए णाण-अणायारस्स, फिर वैसा नहीं करने का संकल्प करना दसण-अणायारस्स, चाहिए चरित्त-अणायारस्स। यथोचित प्रायश्चित्त तथा तपःकर्म स्वीकार करना चाहिए१. ज्ञान अनाचार की, २. दर्शन अनाचार की, ३. चरित्र अनाचार की। पायच्छित्त-पदं प्रायश्चित्त-पदम् प्रायश्चित्त-पद ४४८. तिविधे पायच्छित्ते पष्णते, तं त्रिविधं प्रायश्चित्तं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा- ४४८. प्रायश्चित्त तीन प्रकार का होता है जहा—आलोयणारिहे, आलोचनाह, प्रतिक्रमणार्ह, तदुभयाहम्। १. आलोचना के योग्य, पडिक्कमणारिहे, तदुभयारिहे। २. प्रतिक्रमण के योग्य, ३. तदुभय योग्य । अकम्मभूमी-पदं अकर्मभूमि-पदम् अकर्मभूमि-पद ४४६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य दक्षिणे ४४६. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर-पर्वत के दक्षिण दाहिणे णं तओ अकम्मभूमीओ तिस्रः अकर्मभूमयः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- भाग में तीन अकर्मभूमियां हैंपण्णताओ, तं जहा–हेमवते, हैमवतं, हरिवर्ष, देवकुरुः। १. हैमवत, २. हरिवर्ष, ३. देवकुरु । हरिवासे, देवकुरा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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