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ठाणं (स्थान)
स्थान ३: सूत्र ५३-६१ ५३. मणुस्सपुरिसा तिविहा पण्णत्ता, तं मनुष्यपुरुषा: त्रिविधाः प्रज्ञप्ताः, ५३. मनुष्यपुरुष तीन प्रकार के होते हैं
जहा—कम्मभूमिया, अकम्म- तद्यथा-कर्मभूमिजाः, अकर्मभूमिजाः, १. कर्मभूमिज, २. अकर्मभूमिज, भूमिया, अंतरदीवगा। आन्तरद्वीपकाः।
३. अन्तीपज।
पा
णपुंसग-पदं नपुंसक-पदम्
नपुंसक-पद ५४. तिविहा णपुंसगा पण्णत्ता, तं त्रिविधाः नपुंसकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५४. नपुंसक तीन प्रकार के होते हैं
जहा—णेरइयणपुंसगा, तिरिक्ख- नैरयिकनपुंसकाः, तिर्यग्योनिकनपुंसकाः, १. नरयिकनपुंसक, २. तिर्यक्योनिकजोणियणपुंसगा, मणुस्सणपुंसगा। मनुष्यनपुंसकाः।
नपुंसक, ३. मनुष्यनपुंसक। ५५. तिरिक्खजोणियणपुंसगा तिविहा तिर्यग्योनिकनपुंसकाः त्रिविधाः ५५. तिर्यकयोनिक नपुंसक तीन प्रकार के पण्णत्ता, तं जहाप्रज्ञप्ताः, तद्यथा
होते हैंजलयरा, थलयरा, खहयरा। जलचराः, स्थलचराः, खेचराः। १. जलचर, २. स्थलचर, ३. खेचर। ५६. मणुस्सणपुंसगा तिविधा पण्णत्ता, मनुष्यनपुंसकाः त्रिविधाः प्रज्ञप्ताः, ५६. मनुष्यनपुंसक तीन प्रकार के होते हैं
तं जहा—कम्मभूमिगा, अकम्म- तद्यथा—कर्मभूमिजा:, अकर्मभूमिजाः, १. कर्मभूमिज, २. अकर्मभूमिज, भूमिगा, अंतरदीवगा। आन्तरद्वीपकाः।
३. अन्तीपज।
तिरिक्खजोणिय-पदं तिर्यग्योनिक-पदम्
तिर्यग्योनिक-पद ५७. तिविहा तिरिक्खजोणिया पण्णत्ता, त्रिविधा: तिर्यग्योनिकाः प्रज्ञप्ताः, ५७. तिर्यक्योनिक जीव तीन प्रकार के होते
तं जहा—इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा। तद्यथा—स्त्रियः, पुरुषाः, नपुंसकाः। हैं-१. स्त्री, २. पुरुष, ३. नपुंसक। लेसा-पदं लेश्या-पदम्
लेश्या-पद ५८. गेरइयाणं तओ लेसाओ नैरयिकाणां तिस्र: लेश्याः प्रज्ञप्ताः, ५८. नरयिकों में तीन लेश्याएं होती हैं
पण्णत्ताओ, तं जहा- तद्यथा-कृष्णलेश्या, नीललेश्या, १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, कण्हलेसा, णीललेसा, काउलेसा। कापोतलेश्या।
३. कापोतलेश्या। ५६. असुरकुमाराणं तओ लेसाओ असुरकुमाराणां तिस्रः लेश्याः संक्लिष्टाः ५६. असुरकुमार के तीन लेश्याएं संक्लिष्ट संकिलिट्ठाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- प्रज्ञप्ताः, तद्यथा
होती हैं-१. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ___ कण्हलेसा, णीललेसा, काउलेसा। कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या। ३. कापोतलेश्या । ६०. एवं—जाव थणियकुमाराणं। एवम्—यावत् स्तनितकुमाराणाम्। ६०. इसी प्रकार स्तनितकुमार तक के सभी
भवनपति देवों के तीन लेश्याएं संक्लिष्ट
होती हैं। ६१. एवं—पुढविकाइयाणं आउ- एवम्—पृथिवीकायिकानां अब्-वनस्पति- ६१. इसी प्रकार पृथ्वीकायिक", अप्कायिक, वणस्सतिकाइयाणवि। कायिकानामपि।
वनस्पतिकायिक जीवों के भी तीन लेश्याएं संक्लिष्ट होती है१. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, ३. कापोतलेश्या।
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