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________________ ठाणं (स्थान) ९७ स्थान २ : सूत्र ३७३-३८५ ३७३. दो इसिवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा- द्वौ ऋषिवादीन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, तद्यथा- ३७३. ऋषिवादियों के इन्द्र दो हैं इसिच्चेव, इसिवालए चेव। ऋषिश्चैव, ऋषिपालकश्चैव । ऋषि, ऋषिपालक । ३७४. दो भूतवाइंदा पण्णत्ता, तं जहा- द्वौ भूतवादीन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, तद्यथा- ३७४. भूतवादियों के इन्द्र दो हैंइस्सरे चेव, महिस्सरे चेव। ईश्वरश्चैव, महेश्वरश्चैव । ईश्वर, महीश्वर । ३७५. दो कंदिदा पण्णत्ता, तं जहा- द्वौ स्कन्देन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, तद्यथा- ३७५. स्कन्दकों के इन्द्र दो हैंसुवच्छे चेव, विसाले चेव। सुवत्सश्चैव, विशालश्चैव । सुवत्स, विशाल। ३७६. दो महाकदिदा पण्णता, तं जहा- द्वौ महास्कन्देन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, तद्यथा- ३७६. महास्कन्दकों के इन्द्र दो हैंहस्से चेव, हस्सरती चेव। हास्यश्चैव, हास्यरतिश्चैव । हास्य, हास्यरति। ३७७. दो कुंभडिदा पण्णत्ता, तं जहा- द्वौ कुष्माण्डेन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, तद्यथा- ३७७. कूष्माण्डकों के इन्द्र दो हैं. सेए चेव, महासेए चेव। श्वेतश्चैव, महाश्वेतश्चैव। श्वेत, महाश्वेत । ३७८. दो पतइंदा पण्णत्ता, तं जहा- द्वौ पतगेन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, तद्यथा- ३७८. पतगों के इन्द्र दो हैंपतए चेव, पतयवई चेव। पतगश्चव, पतगपतिश्चैव। पतग, पतगपति। ३७९. जोइसियाणं देवाणं दो इंदा ज्योतिष्काणां देवानां द्वौ इन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, ३७६. ज्योतिषों के इन्द्र दो हैं-- पण्णत्ता, तं जहातद्यथा चन्द्र, सूर्य। चंदे चेव, सूरे चेव। चन्द्रश्चैव, सूरश्चैव। ३८०. सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु दो इंदा सौधर्मशानयोः कल्पयोः द्वौ इन्द्रौ ३८०. सौधर्म और ईशान कल्प के इन्द्र दो हैंपण्णत्ता, तं जहाप्रज्ञप्तौ, तद्यथा शक्र, ईशान। सक्के चेव, ईसाणे चेव। शक्रश्चैव, ईशानश्चैव। ३८१. सणंकुमार-माहिदेसु कप्पेसु दो सनत्कुमार-माहेन्द्रयोः कल्पयोः द्वौ इन्द्रौ ३८१. सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प के इन्द्र दो इंदा पण्णत्ता, तं जहा--- प्रज्ञप्तौ, तद्यथा हैं-सनत्कुमार, माहेन्द्र। सणंकुमारे चेव, माहिदे चेद। सनत्कुमारश्चैव, माहेन्द्र श्चैव । ३८२. बंभलोग-लंतएसु णं कप्पेसु दो ब्रह्मलोक-लान्तकयोः कल्पयोः द्वौ इन्द्रौ ३८२. ब्रह्मलोक और लान्तक कल्प के इन्द्र दो इंदा पण्णत्ता, तं जहा- प्रज्ञप्तौ, तद्यथा हैं—ब्रह्म, लान्तक। बंभे चेव, लंतए चेव। ब्रह्म चैव, लान्तकश्चैव । ३८३. महासुक्क-सहस्सारेसु णं कप्पेसु महाशुक्र-सहस्रारयोः कल्पयोः द्वौ इन्द्रौ ३८३. महाशुक्र और सहस्रार कल्प के इन्द्र दो दो इंदा पण्णत्ता, तं जहा- प्रज्ञप्तौ, तद्यथा हैं-महाशुक्र, सहस्रार। महासक्के चेव, सहस्सारे चेव। महाशुक्रश्चैव सहस्रारश्चैव। ३८४. आणत-पाणत-आरण-अच्चुतेसु णं आनत-प्राणत-आरण-अच्युतेषु कल्पेषु ३८४. आनत और प्राणत तथा आरण और कप्पेसु दो इंदा पण्णत्ता, तं द्वौ इन्द्रौ प्रज्ञप्तौ, तद्यथा अच्युत कल्प के इन्द्र दो हैंजहा...पाणते चेव, अच्चुते चेव। प्राणतश्चैव, अच्युतश्चैव । प्राणत, अच्युत। विमाण-पदं विमान-पदम् ३८५. महासुक्क-सहस्सारेसु णं कप्पेसु महाशुक्र-सहस्रारयोः विमाणा दुवण्णा पण्णत्ता, तं विमानानि द्विवर्णानि विमान-पद कल्पयोः ३८५. महाशुक्र और सहस्रार कल्प में विमान प्रज्ञप्तानि, दो प्रकार के हैं—पीले, सफेद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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