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________________ भगवई ५१ श. १२ : उ. ४ : सू.६८-१०० ६८. ओरालियपोग्गलपरियट्टे णं भंते! औदारिक पुद्गलपरिवर्तः भदन्त! १८. भंते ! औदारिक पुद्गल-परिवत कितने केवइकालस्स निव्वत्तिज्जइ ? कियत्कालात् निर्वय॑ते? काल में निर्वर्तित होता है? गोयमा ! अणंताहिं ओसप्पिणीहिं गौतम! अनन्ताभिः अवसर्पिणीभिः गौतम ! अनंत अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी काल उस्सप्पिणीहिं एवतिकालस्स उत्सर्पिणीभिः एतावत्कालात निवर्त्यते। में निर्वर्तित-निष्पन्न होता है। निव्वत्तिज्जइ। एवं बेउब्बिय- एवं वैक्रियपुद्गलपरिवर्तोऽपि । एवं इसी प्रकार यावत् आनापान पुद्गलपोग्गलपरियट्टे वि। एवं जाव यावत् आनापानपुदगलपरिवर्तोऽपि । परिवर्त भी। आणापाणुपोग्गलपरियट्टेवि ॥ भाष्य १. सूत्र १८ प्रस्तुत सूत्र में पुद्गल-परिवर्त्त का कालमान बतलाया गया है। एक पुद्गल परिवर्त्त का कालमान अनंत उत्सर्पिणी और अनंत अवसर्पिणी जितना है। देखें अनुयोगद्वार सूत्र ६१६ का टिप्पण। १६. एयस्स णं भंते ! ओरालिय-पोग्गल- एतस्य भदन्त! औदारिकपुद्गलपरि- ६६. भंते ! औदारिक पुद्गल-परिवर्त निर्वर्तना परियट्टनिव्वत्तणाकालस्स, वेउब्विय- वर्तनिर्वर्तनाकालस्य, वैक्रिय-पुद्गल- काल, वैक्रिय पुद्गल-परिवर्त्त निर्वर्तनापोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स जाव परिवर्तनिर्वर्तनाकालस्य यावत् आना- काल यावत् आनापान पुद्गल-परिवर्त आणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्वतणा- पानपुद्गलपरिवर्तनिर्वर्तनाकालस्य च निर्वर्तनाकाल में कौन किनसे अल्प, बहु, कालस्स य कयरे कयरेहितो अप्पा कतरे कतरेभ्यः अल्पाः वा? बहुकाः तुल्य अथवा विशेषाधिक है? वा? बहुया वा? तुल्ला वा ? वा? तुल्याः वा? विशेषाधिकाः वा? विसेसाहिया वा ? गोयमा! सम्वत्थोवे कम्मगपोग्गल- गौतम! सर्वस्तोकः कर्मकपुद्गलपरि- गौतम ! सबसे अल्प कर्म पुद्गल-परिवर्त्त परियट्टनिब्वत्तणाकाले, तेयापोग्गल- वर्तनिवर्तनाकालः, तैजसपुद्गलपरिवर्त- निर्वर्तनाकाल है, तैजस पुद्गल-परिवर्त्त परियट्टनिवत्तणाकाले अणंतगुणे, निर्वर्तनाकालः अनन्तगुणः, औदारिक- निर्वर्तनाकाल कर्म पुदगल-परिवर्त्त से ओरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले पुद्गलपरिवर्तनिर्वर्तनाकालः अनन्त- अनंतगुण है, औदारिक पुद्गल-परिवर्त अणंतगुणे, आणापाणुपोग्गल- गुणः, आनापानपुद्गलपरिवर्तनिर्वर्तना- निर्वर्तनाकाल तैजस पुद्गल परिवर्त से परियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, मण- कालः अनन्तगुणः, मनःपुद्गल- अनंतगुण है, आनापान पुद्गल-परिवर्त पोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, परिवर्तनिर्वर्तनाकालः अनन्तगुणः, निर्वर्तनाकाल औदारिक पुदगल-परिवर्त से वइपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले वाकपुद्गलपरिवर्तनिर्वर्तनाकालः अनंतगुण है, मनःपुद्गल-परिवर्त निर्वर्तना अणंतगुणे, बेउब्वियपोग्गलपरियट्ट- अनन्तगुणः, वैक्रियपुद्गलपरि- काल आनापान पुद्गल-परिवर्त से अनंतगुण निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे ॥ वर्तनिर्वर्तनाकालः अनन्तगुणः। है, वचन पुद्गल-परिवर्त्त निर्वर्तनाकाल मनःपुद्गल-परिवर्त से अनंतगुण है, वैक्रिय पुद्गल-परिवर्त्त निर्वर्तनाकाल वचन पुद्गलपरिवर्त्त से अनंत गुण है। १००. भंते ! औदारिक पुद्गल परिवर्त्त यावत् आनापान पुद्गल-परिवर्त्त में कौन किनसे अल्प, बहु, तुल्य अथवा विशेषाधिक है? १००. एएसि णं भंते! ओरालिय- एतेषां भदन्त! औदारिकपुद्गल- पोग्गलपरियट्टाणं जाव आणापाणु- परिवर्तानां यावत् आनापानपुद्गलपोग्गलपरियट्टाण य कयरे कयरेहितो परिवर्तानां च कतरे कतरेभ्यः अल्पाः अप्पा वा ? बहुया या ? तुल्ला वा ? वा? बहुकाः वा? तुल्याः वा? विसेसाहिया वा ? विशेषाधिकाः वा? गोयमा ! सव्वत्थोबा वेउन्विय- गौतम! सर्वस्तोकाः वैक्रियपोग्गलपरियट्टा, बइपोग्गलपरियट्टा पुद्गलपरिवर्ताः, वाकपुद्गलपरिवर्ताः अणंतगुणा, मणपोग्गलपरियट्टा अनन्तगुणाः, मनःपुद्गलपरिवर्ताः अणंतगुणा, आणापाणुपोग्गलपरियट्टा अनन्तगुणाः, आनापानपुद्गलपरिवर्ताः गौतम ! सबसे अल्प वैक्रिय पुद्गल परिवर्त है, वचन पुद्गल-परिवत वैक्रिय पुद्गलपरिवर्त से अनंतगुण है, मन पुद्गल परिवर्त वचन पुद्गल-परिवर्त्त से अनंतगुण है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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