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________________ भगवई ३७ श. १२ : उ. ४ : सू. ७८ पुद्गलाः, एकता परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर दो त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल दूसरी ओर चार द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। ख भवडा तिपएसिए पोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्वौ त्रिप्रदेशिको खंधा भवंति; अहवा एगयओ तिणि स्कन्धौ भवतः, अथवा एकतः त्रयः परमाणुपोग्गला, एगयओ दो परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्वौ द्विप्रदेशिको दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए स्कन्धौ, एकतः त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो भवति, अथवा एकतः द्वौ परमाणुपोग्गला, एगयओ चत्तारि परमाणुपुद्गलौ, एकतः चत्वारः दुपएसिया खंघा भवंति। द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति। सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ सप्तधा क्रियमाणः एकतः षट् परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः चतुष्प्रदेशिक: खंधे भवइ; अहवा एगयओ पंच स्कन्धः भवति, अथवा एकतः पञ्च परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्विप्रदेशिक: खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भव: स्कन्धः, एकतः त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः अहवा एगयओ चत्तारि परमाणु- भवति, अथवा एकतः चत्वारः पोग्गला, एगयओ तिणि दुपएसिया परमाणुपुद्गलाः, एकतः त्रयः खंधा भवंति। द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति। अट्टहा कज्जमाणे एगयओ सत्त- अष्टधा क्रियमाणः एकतः सप्त परमाणुपोग्गला एगयओ तिपएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः त्रिप्रदेशिकः खंधे भव; अहवा एगपओ छ स्कन्धः भवति, अथवा एकतः षट् परमाणुपोग्गला, एगयओ दो परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्वौ द्विप्रदेशिको दुपएसिया खंघा भवंति। स्कन्धौ भवतः। नवहा कज्जमाणे एगयओ अट्ठ नवधा क्रियमाणः एकतः अष्ट परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्विप्रदेशिक: खंधे भवइ। स्कन्धः भवति। दसहा कज्जमाणे दस परमाणु- दशधा क्रियमाणः दश परमाणुपुद्गलाः पोग्गला भवंति॥ भवन्ति। सात भागों में विभक्त होने पर-एक ओर छह स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर पांच स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर एक द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर एक त्रिप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर तीन द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। आठ भागों में विभक्त होने पर-एक ओर सात स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर छह स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। नौ भागों में विभक्त होने पर-एक ओर आठ स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध होता है। दस भागों में विभक्त होने पर-दस स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल हो जाते हैं। ७६. संखेज्जा णं भंते ! परमाणुपोग्गला संख्येयाः भदन्त! परमाणुपुद्गलाः ७८. भंते ! संख्येय परमाणु पुद्गल एकत्र संहत एगयओ साहण्णंति, साहणित्ता किं एकतः संहन्यन्ते, संहत्य किं भवति? होते हैं, उस संहति से क्या निष्पन्न होता भवइ ? गोयमा ! संखेज्जपएसिए खंधे भवइ। गौतम! संख्येयप्रदेशिकः स्कन्धः भवति। गौतम ! संख्येय प्रदेशी स्कंध निष्पन्न होता से भिज्जमाणे दहा वि जाव दसहा वि सः भिद्यमानः द्विधा अपि यावत् दशधा है। वह टूटने पर दो अथवा यावत् दस संखेज्जहा वि कज्जइअपि संख्येयधा अपि क्रियते अथवा संख्येय भागों में विभक्त होता है। दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणु- द्विधा क्रियमाणः एकतः परमाणु- दो भागों में विभक्त होने पर-एक ओर एक पोग्गले, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे पुद्गलः, एकतः संख्येयप्रदेशिक: स्कन्धः स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर भवइअहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, भवति, अथवा एकतः द्विप्रदेशिक: संख्येयप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवः स्कन्धः, एकतः संख्येयप्रदेशिकः ओर द्विप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ स्कन्धः भवति. एकतः त्रिप्रदेशिक संख्येयप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक संखेज्जपएसिए खंधे भव; एवं जाव स्कन्धः, एकतः संख्येयप्रदेशिक: ओर त्रिप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर संख्येय अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, स्कन्धः भवति, एवं यावत् अथवा प्रदेशी स्कंध होता है। इसी प्रकार यावत् एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भव; एकतः दशप्रदेशिक: स्कन्धः, एकतः अथवा एक ओर दस प्रदेशी स्कंध, दूसरी अहवा दो संखेज्जपएसिया खंधा संख्येयप्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा ओर संख्येय प्रदेशी स्कंध होता है अथवा दो भवंति। द्वौ संख्येयप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः। संख्येय प्रदेशी स्कंध होते हैं। तिहा कज्जमाणे एगयओ दो त्रिधा क्रियमाणः एकतः द्वौ परमाणु- तीन भागों में विभक्त होने पर-एक ओर दो परमाणुपोग्गला, एगयओ संखेज्ज- पुदगलौ, एकतः संख्येयप्रदेशिक: स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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