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________________ श. १२ : उ. ४ : सू. ७७ ३६ भगवई चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि चतुर्धा क्रियमाणः एकतः त्रयः । परमाणुपोग्गला, एगयओ सत्तपएसिए । परमाणुपुद्गलाः, एकतः सप्तप्रदेशिक: खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो। स्कन्धः भवति; अथवा एकतः द्वौ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए परमाणुपुद्गलौ, एकतः द्विप्रदेशिकः । खंधे, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; स्कन्धः, एकतः षट्प्रदेशिक: स्कन्धः अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, भवति, अथवा एकतः द्वौ परमाणुएगयओ तिप्पएसिए खंधे, एगयओ पुद्गलौ, एकतः त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः, पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एकतः पञ्चप्रदेशिक: स्कन्धः भवति, एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ अथवा एकतः द्वौ परमाणुपुद्गलौ, दो चउप्पएसिया खंधा भवंति; अहवा एकतः द्वौ चतुष्प्रदेशिकौ स्कन्धौ भवतः एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ अथवा एकतः परमाणुपुद्गलः, एकतः दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए द्विप्रदेशिक: स्कन्धः, एकतः त्रिप्रदेशिक: खंधे, एगयओ चउप्पएसिए खंधे। स्कन्धः, एकतः चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः भवइ; अहवा एगयओ परमाणु- भवति, अथवा एकतः परमाणुपुद्गलः, पोग्गले, एगयओ तिण्णि तिपएसिया एकतः त्रयः त्रिप्रदेशिकाः स्कन्धाः खंधा भवंति; अहवा एगयओ तिणि भवन्ति; अथवा एकतः त्रयः दुपएसिया खंधा, एगयओ चउप्पएसिए द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः एकतः खंधे भव; अहवा एगयओ दो चतुष्प्रदेशिक: स्कन्धः भवति, अथवा दुपएसिया खंधा, एगयओ दो एकतः द्वौ द्विप्रदेशिको स्कन्धौ, एकतः तिपएसिया खंधा भवंति। द्वौ त्रिप्रदेशिकौ स्कन्धौ भवतः। पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि पञ्चधा क्रियमाण: एकतः चत्वारः परमाणुपोग्गला, एगयओ छप्पएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः षट्प्रदेशिकः खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिण्णि स्कन्धः भवति, अथवा एकतः त्रयः परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्विप्रदेशिक: खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ स्कन्धः, एकतः पञ्चप्रदेशिक: स्कन्धः अहवा एगयओ तिण्णि परमाणु- भवति, अथवा एकतः त्रयः परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे, पुद्गलाः एकतः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ एकतः चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, अथवा एकतः द्वौ परमाणुपुद्गलौ, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ एकतः द्वौ द्विप्रदेशिको स्कन्धौ, एकतः चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ एकतः द्वौ परमाणुपुद्गलौ, एकतः दपएसिए खंधे, एगयओ दो द्विप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः द्वौ तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा त्रिप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः, अथवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ एकतः परमाणुपुद्गलः, एकतः त्रयः तिण्णि दुपएसिया खंधा, एगयओ द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः, एकतः तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा पंच त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः भवति, अथवा दुपएसिया खंधा भवंति। पञ्च द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति। छहा कज्जमाणे एगयओ पंच षड्ढा क्रियमाणः एकतः पञ्च परमाणुपरमाणु-पोग्गला, एगयओ पंचपएसिए पुद्गलाः, एकतः पञ्चप्रदेशिकः स्कन्धः खंधे भवइ; अहवा एगयओ चत्तारि भवति, अथवा एकतः चत्वारः परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्विप्रदेशिकः खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ स्कन्धः, एकतः चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः अहवा एगयओ चत्तारि परमाणु- भवति, अथवा एकतः चत्वारः चार भागों में विभक्त होने पर-एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर सात प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर छह प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध, तीसरी ओर एक पंच प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणुपुद्गल, दूसरी ओर दो चतुष्प्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध, चौथी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर तीन त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर दो त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं। पांच भागों में विभक्त होने पर-एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर छह प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर पंचप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर एक त्रिप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणुपुद्गल, दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर दो त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर तीन द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध होता है अथवा पांच द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। छह भागों में विभक्त होने पर-एक ओर पांच स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर पांच प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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