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________________ श. १२ : उ. ४ : सू. ७६ ३४ चउप्पएसिया खंधा भवंति; अहवा चतुष्प्रदेशिको स्कन्धौ भवतः, अथवा । एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ एकतः द्विप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः । तिपएसिए खंधे, एगयओ चउप्पएसिए त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः, एकतः खंधे भवः अहवा तिणि तिपएसिया चतुष्प्रदेशिक: स्कन्धः भवति, अथवा खंधा भवंति। त्रयः त्रिप्रदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति। चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि । चतुर्धा क्रियमाणः एकतः त्रयः परमाणुपोग्गला, एगयओ छप्पएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः षट्प्रदेशिक: खंधे भवः अहवा एगयओ दो। स्कन्धः भवति, अथवा एकतः द्वौ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए परमाणुपुद्गलौ, एकतः द्विप्रदेशिकः खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ स्कन्धः, एकतः पञ्चप्रदेशिकः स्कन्धः अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, भवति, अथवा एकतः द्वौ एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ परमाणुपुद्गलौ, एकतः त्रिप्रदेशिकः चउप्पएसिए खंधे भव; अहवा स्कन्धः, एकतः चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो भवति, अथवा एकतः परमाणुपुद्गलः, दुपएसिया खंधा, एगयओ चउप्पएसिए एकतः द्वौ द्विप्रदेशिको स्कन्धौ, एकतः खंधे भवः अहवा एगयओ चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए। एकतः परमाणुपुद्गलः, एकतः खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा द्विप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः द्वौ भवंतिः अहवा एगयओ तिण्णि त्रिप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः अथवा दुप्पएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए एकतः त्रयः द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः खंधे भवइ। एकतः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः भवति। पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि । पञ्चधा क्रियमाणः एकतः चत्वारः परमाणुपोग्गला,एगयओ पंचपएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः पञ्चप्रदेशिकः खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिण्णि। स्कन्धः भवति अथवा एकतः त्रयः परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्विप्रदेशिक: खंधे, एगयओ चउप्पएसिए खंधे स्कन्धः, एकतः चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः भवद अहवा एगयओ तिण्णि भवति अथवा एकतः त्रयः परमाणुपरमाणुपोग्गला, एगयओ दो पुद्गलाः, एकतः द्वौ त्रिप्रदेशिको तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा स्कन्धौ भवतः, अथवा एकतः द्वौ एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ। परमाणुपुद्गलौ, एकतः द्वौ द्विप्रदेशिको दो दुपएसिया खंधा, एगयओ स्कन्धौ, एकतः त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ भवति, अथवा एकतः परमाणुपुद्गलः, परमाणुपोग्गले, एगयओ चत्तारि एकतः चत्वारः द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः दुपएसिया खंधा भवंति। भवन्ति। छहा कज्जमाणे एगयओ पंच षड्ढा क्रियमाणः एकतः पञ्चपरमाणुपरमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए पुद्गलाः, एकतः चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः खंधे भवइ; अहवा एगयओ चत्तारि भवति, अथवा एकतः चत्वारः परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए परमाणु-पुद्गलाः, एकतः द्विप्रदेशिक: खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ स्कन्धः, एकतः त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः अहवा एगयओ तिण्णि परमाणु- भवति अथवा एकतः त्रयः पोग्गला, एगयओ तिण्णि दुप्पएसिया परमाणुपुद्गलाः, एकतः त्रयः खंधा भवंति। द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति। सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ सप्तधा क्रियमाणः एकतः षट् परमाणुपोग्गला, एगयओ तिप्पएसिए परमाणुपुदगलाः, एकतः त्रिप्रदेशिक: भगवई पुद्गल, दूसरी ओर दो चतुष्प्रदेशी स्कंध होते हैं, अथवा एक ओर द्विप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा तीन त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं। चार भागों में विभक्त होने पर-एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर छह प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर पांच प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणुपुद्गल, दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणुपुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर दो त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर तीन प्रदेशी स्कंध होता है। पांच भागों में विभक्त होने पर-एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर पांच प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर दो त्रिप्रदेशी स्कंध होते हैं अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणुपुद्गल, दूसरी ओर चार द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। छह भागों में विभक्त होने पर-एक ओर पांच स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर चार प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध होता है, अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर तीन द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। सात भागों में विभक्त होने पर-एक ओर छह स्वतंत्र परमाणु-पुद्गल, दूसरी ओर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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