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________________ भगवई खंधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइः अहवा एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, दो दुपएसिया बंधा भवंति । सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवड़ । अट्ठहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपोग्ला भवति ॥ ७६. नव भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! नवपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव नवहा वि कज्जइ दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ अपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ चउप्पएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ । भवइ; तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ सत्तपए सिए खंधे अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए, खंधे, एगयओ छप्पएसिए बंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो Jain Education International ३३ त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा चत्वारः द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः भवति । पञ्चधा क्रियमाणः एकतः चत्वारः परमाणुपुद्गलाः, एकतः चतुःप्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एकतः त्रयः परमाणुपुद्गलाः एकतः द्विप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एकतः द्वौ परमाणुपुद्गलौ, एकतः त्रयः द्विप्रदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति । षड्ढा क्रियमाणः एकतः पञ्च परमाणुपुद्गलाः, एकतः त्रिप्रदेशिक : स्कन्धः भवति, अथवा एकतः चत्वारः परमाणुपुद्गलाः द्वौ द्विप्रदेशिकौ स्कन्धौ भवतः । सप्तधा क्रियमाणः एकतः षट् परमाणुपुद्गलाः, एकतः द्विप्रदेशिकः स्कन्धः भवति । अष्टधा क्रियमाणः अष्ट परमाणुपुद्गलाः भवन्ति । नव भदन्त ! परमाणुपुद्गलाः एकतः संहन्यन्ते, संहत्य किं भवति ? गौतम ! नवप्रदेशिकः स्कन्धः भवति । सः भिद्यमानः द्विधा अपि यावत् नवधा अपि क्रियते द्विधा क्रियमाणः एकतः परमाणुपुद्गलः, एकत: अष्टप्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एकतः द्विप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः सप्तप्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एकतः त्रिप्रदेशिक : स्कन्धः, एकतः षट्प्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एकतः चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः पञ्चप्रदेशिकः स्कन्धः भवति । स्कन्धः एकतः त्रिधा क्रियमाणः एकतः परमाणुपुद्गलौ, एकतः सप्तप्रदेशिकः भवति, अथवा परमाणुपुद्गलः एकतः द्विप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः षट्प्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एकतः परमाणुपुद्गलः, एकतः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः, एकतः पञ्चप्रदेशिकः स्कन्धः भवति, अथवा एकतः परमाणुपुद्गलः, एकतः द्वौ For Private & Personal Use Only श. १२ : उ. ४ : सू. ७६ पांच भागों में विभक्त होने पर एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर चतुष्पदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर तीन स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर तीन द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। छह भागों में विभक्त होने पर एक ओर पांच स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चार स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। सात भागों में विभक्त होने पर एक ओर छह परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध होता है। आठ भागों में विभक्त होने पर आठ स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल हो जाते हैं। ७६. भंते! नौ परमाणु- पुद्गल एकत्र संहत होते उस संहति से क्या निष्पन्न होता है ? गौतम ! नौ प्रदेशी स्कंध निष्पन्न होता है। वह टूटने पर दो यावत् नौ भागों में विभक्त होता है दो भागों में विभक्त होने पर एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर आठ प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर द्विप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर सातप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर त्रिप्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर छहप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर चतुष्प्रदेशी स्कंध, दूसरी ओर पांच प्रदेशी स्कन्ध होता है। तीन भागों में विभक्त होने पर एक ओर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर सात प्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर छहप्रदेशी स्कंध होता है अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर त्रिप्रदेशी स्कंध, तीसरी ओर पांच प्रदेशी स्कंध होता है, अथवा एक ओर एक स्वतंत्र परमाणु www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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