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________________ मूल परमाणुपोग्गलाणं संघात - भेद-पदं ६६. रायगिहे जाव एवं वयासी -दो भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोमा ! दुपए सिए बंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा कज्जइ - एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ ॥ ७०. तिष्णि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! तिपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि कज्जइ दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए बंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे तिण्णि परमाणुपोग्गला भवति ॥ ७१. चत्तारि भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! चउपसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वितिहा विचउहा वि कज्जइ दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिपएसिए खंधे भवड़, अहवा दो दुपएसिया बंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए बंधे भवइ । Jain Education International चउत्थो उद्देसो : चौथा उद्देशक संस्कृत छा परमाणुपुद्गलानां संघात-भेद पदम् राजगृहं यावत् एवमवादीत् - द्वौ भदन्त ! परमाणुपुद्गलौ एकतः संहन्येते, संहत्य किं भवति ? गौतम! द्विप्रदेशिकः स्कन्धः भवति । सः भिद्यमानः द्विधा क्रियते - एकतः परमाणु - पुद्गलः, एकतः परमाणुपुद्गलः भवति । त्रय भदन्त ! परमाणुपुद्गलाः एकतः संहन्यन्ते, संहत्य किं भवति ? गौतम ! त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः भवति । सः भिद्यमानः द्विधा अपि त्रिधा अपि क्रियते द्विधा क्रियमाणः एकतः परमाणुपुद्गलः, एकतः द्विप्रदेशिकः स्कन्धः भवति । त्रिधा क्रियमाणः त्रयः परमाणुपुद्गलाः भवन्ति । चत्वारः भदन्त ! परमाणुपुद्गलाः एकतः संहन्यन्ते, संहत्य किं भवति ? गौतम! चतुष्प्रदेशिकः स्कन्धः भवति । सः भिद्यमानः द्विधा अपि त्रिधा अपि चतुर्धा अपि क्रियते द्विधा क्रियमाणः एकतः परमाणुपुद्गलः, एकतः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः भवति अथवा द्वौ द्विप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः । त्रिधा क्रियमाणः एकतः द्वौ परमाणुपुद्गलौ, एकतः द्विप्रदेशिकः स्कन्धः भवति । For Private & Personal Use Only हिन्दी अनुवाद परमाणु- पुद्गलों का संघात-भेद पद ६९. राजगृह नाम का नगर यावत् गौतम स्वामी पर्युपासना करते हुए इस प्रकार बोले-भंते ! दो परमाणु- पुद्गल एकत्र संहत होते हैं, उस संहति से क्या निष्पन्न होता है ? गौतम! द्विप्रदेशी स्कन्ध निष्पन्न होता है। उसके दो भागो में विभक्त होने पर दो स्वतंत्र परमाणु- पुद्गल हो जाते हैं। ७०. भंते! तीन परमाणु-पुद्गल एकत्र संहत होते हैं, उस संहति से क्या निष्पन्न होता है ? गौतम ! तीन प्रदेशी स्कन्ध निष्पन्न होता है। वह टूटने पर दो या तीन भागों में विभक्त होता है दो भागों में विभक्त होने पर एक ओर एक परमाणु - पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है। तीन भागों में विभक्त होने पर तीन स्वतंत्र परमाणु - पुद्गल हो जाते हैं। ७१. भंते! चार परमाणु- पुद्गल एकत्र संहत होते हैं उस संहति से क्या निष्पन्न होता है ? गौतम ! चार प्रदेशी स्कन्ध निष्पन्न होता है। वह टूटने पर दो, तीन अथवा चार भागों में विभक्त होता है। दो भागों में विभक्त होने पर एक ओर एक परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर तीन प्रदेशी स्कन्ध होता है अथवा दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। तीन भागों में विभक्त होने पर एक ओर स्वतंत्र दो परमाणु- पुद्गल, दूसरी ओर द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है। www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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