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भगवई
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परिशिष्ट-३ : भाष्य-विषयानुक्रम गर्भ में वर्णादि १२/११९
द्रव्य, दाता और प्रतिग्राहक की शुद्धि १५/२२-२६ गोशालक का जीवन वृत्त १५/१४२
द्रव्यलेश्या एवं भावलेश्या १२/११७ गौतम स्वामी १४/७७
द्विशरीरी १२/१५४-१५८
द्वयणुक स्कंध के अवगाह का नियम १३/७९.८३ चतुःस्पर्शी १२/११७ चारों गति के जीवों के अनुश्रव १४/६१-६७
धर्मदव का संस्थान काल १२/१९१ चार गतियों के विभाग का हेतु-कर्म १२/१२०
धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय का अमूर्त्तत्व १३/ चेतना की अवस्थाएं १२/१०८-१११
८६-८७ चैतन्य-अचैतन्य कृत कर्म १६/४१-४२
धर्मास्तिकाय के प्रदेश एवं षड्द्रव्य के प्रदेशों का परस्पर स्पर्श चौबीस वर्ष पर्याय वाला मंखलिपुत्र गोशाल १५/२
१३/६१-६२
न छह दिशाचर और गोमायुपुत्र १५/३
नरक में अग्निकाय १४/५४-५५
नरक में उपपत्ति के नियम १३/३ जागरिका एवं उसके प्रकार १२/२०-२१
नरक में तीन लेश्याएं १३/१८-२२ जीव और पुद्गल १२/१०२-१०७
नरक में तेजस्काय १३/४४,४६ जीव की अवस्थाएं १२/१०२-१०७
नरक में पृथ्वी, अप आदि कायों का स्पर्श १३/४४ जीव के नाना रूपों में संसार में भ्रमण १२/१३३-१५२ नरक में पृथ्वी आदि छह काय १३/४६ जीवास्तिकाय के प्रदेश एवं षड्द्रव्य के प्रदेशों का परस्पर स्पर्श | नरकावास १३/४३ १३/६४-६५
नरकावासों की मोटाई आदि १३/४५ जीवों के जरा-शोक पद १६/२८-३१
निर्जरा के तारतम्य का हेतु १६/५१-५२ जंभक देव एवं उनके प्रकार १४/११७-१२१
नैरयिक का अनंतर उपन्नक आदि १४/४-५
नैरयिक का अनंतर खेद उपन्नक आदि १४/१४ तमस्काय का निर्माण १४/२५-२७
नैरयिक का अनंतर निर्गत आदि १४/९-१३ तीन गमक १३/६
नैरयिक का आहार आदि १४/७१,७२-७३ तेजोलेश्या १५/६५-६६
नैरयिक के आयुष्य का बंध १४/६-८,९.१३
नैरयिक के आहार एवं शरीर १३/४० दया १५/६५-६६
नैरयिक के वीचि द्रव्यों एवं अवीचि द्रव्यों का आहार १४/७२. दिव्य सर्प का दरसाव १२/१५४-१५८
७३ दिशा १३/४७-५५
नैरयिकों की गति १४/३ दिशाचर १५/७७ दुर्बलता, बलवत्ता, आलस्य, दक्षता १२/५५-५८
पंचविध देवों का अन्तर काल १२/१९२-१९६ देवायुष्य का बंध १५/२२-२६
पंचविध देवों का उद्वर्तन १२/१८५-१९० देवों का असंज्ञी के रूप में उद्वर्तन १३/२७
पंचविध देवों की विक्रिया १२/१८३-१८४ देवों की सहस्रभाषा १४/१३०-१३१
पंचविध देवों की स्थिति १२/१७८-१८२ देवों के पांच प्रकार १२/१६३-१६८
पंचास्तिकाय १३/५५-६० देवों द्वारा नाट्य विधि १६/६१-६३
पंचास्तिकाय की सत्ता में होने वाली प्रवृत्तियां १३/५५-६० देवों में कषाय की विद्यमानता १३/२७
पउट्ट परिहार १५/६५-६६ देवों में लेश्याएं १३/३१
परमाणु-पुद्गल का चरम-अचरम रूप १४/५१
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