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________________ श. १६ : उ.८: सू. ११६,११७ ३८८ भगवई पूर्व चरमान्त की तरह पश्चिम, उत्तर, दक्षिण चरमान्त की वक्तव्यता। उपरि चस्मान्त व अधश्चरमान्त अनेक एकेन्द्रिय के अनेक देश अनेक एकेन्द्रिय के अनेक देश, एक द्वीन्द्रिय का एक देश। अनेक एकेन्द्रिय के अनेक देश, अनेक द्वीन्द्रिय के अनेक देश। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय व अनिन्द्रिय की वक्तव्यता पंचेन्द्रिय में द्विक सांयोगिक विकल्प तीन होंगे-दो पूर्ववत्। तीसरा अनेक एकेन्द्रिय के अनेक देश, एक पंचेन्द्रिय के अनेक देश। शर्कराप्रभा यावत् अधः सप्तमी में रत्नप्रभा की तरह वक्तव्यता। रत्नप्रभा पृथ्वी अनेक एकेन्द्रिय के अनेक प्रदेश अनेक एकेन्द्रिय के अनेक प्रदेश, एक द्वीन्द्रिय के अनेक प्रदेश। अनेक एकेन्द्रिय के अनेक प्रदेश, अनेक द्वीन्द्रिय के अनेक प्रदेश। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय व अनिन्द्रिय की वक्तव्यता। शर्करा आदि छहों नरकों में रत्नप्रभा की तरह वक्तव्यता। सौधर्म यावत् अच्युत देवलोक में रत्नप्रभा की तरह देश, प्रदेश की वक्तव्यता। नौ ग्रैवेयक, पांच अनुत्तरविमान और ईषत् प्राग्भारा पृथ्वी में रत्नप्रभा की तरह वक्तव्यता। अधश्चरमान्त में पंचेन्द्रिय की द्वीन्द्रिय की भांति वक्तव्यता। परमाणुपोग्गलस्स गति-पदं परमाणुपुद्गलस्य गति-पदम् ११६. परमाणुपोग्गले णं भंते! लोगस्स परमाणुपुद्गलः भदन्त! लोकस्य पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ पञ्चत्थि- पौरस्त्यात् चरमान्तात् पाश्चात्यं मिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति? पचत्थिमिल्लाओ चरिमंताओ पुरत्थि- पाश्चात्यात् चरमान्तात् पौरस्त्यं मिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति? चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति? दाहिणिल्लाओ चरिमंताओ उत्तरिल्लं दाक्षिणात्यात् चरमान्तात् औदीच्यं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति? चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति? उत्तरिल्लाओ चरिमंताओ दाहिणिल्लं औदीच्यात् चरमान्तात् दाक्षिणात्यं चरिमतं एगसमएणं गच्छति ? चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति? उवरिल्लाओ चरिमंताओ हेहिलं चरिमंतं उपरितनात् चरमान्तात् अधस्तनं एगसमएणं गच्छति? हेहिल्लाओ चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति? चरिमंताओ उवरिल्लं चरिमंतं अधस्तनात् चरमान्तात् उपरितनं एगसमएणं गच्छति ? चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति? हंता गोयमा! परमाणुपोग्गले णं लोगस्स हन्त गौतम! परमाणुपुद्गलः लोकस्य परथिमिल्लं तं चेव जाव उवरिल्लं पौरस्त्यं तत् चैव यावत् उपरितनं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति॥ चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति। परमाणु पुद्गल का गति पद ११६. भंते! परमाणु पुद्गल पूर्व चरमान्त से पश्चिम चरमान्त में एक समय में जाता है? पश्चिम चरमान्त से पूर्व चरमान्त में एक समय में जाता है? दक्षिण चरमान्त से उत्तर चरमान्त में एक समय में जाता है? उत्तर चरमान्त से दक्षिण चरमान्त में एक समय में जाता है? ऊर्ध्व चरमान्त से अधस्तन चरमान्त में एक समय में जाता है? अधस्तन चरमान्त से ऊर्ध्व चरमान्त में एक समय में जाता है? हां गौतम! परमाणु पुद्गल लोक के पूर्व चरमान्त से पूर्ववत् यावत् ऊर्ध्व चरमान्त में एक समय में जाता है। भाष्य सूत्र ११६ पंचास्तिकाय में तीन अस्तिकाय निष्क्रिय-गतिशून्य हैं। जीव और पुद्गल-ये दो गति क्रिया युक्त हैं। पुद्गल गति के विषय में प्रज्ञापना का निर्देश है-एक परमाणु भी गति करता है यावत् अनंत प्रदेशी स्कंध भी गति करता है। प्रश्न उपस्थित होता है-प्रस्तुत सूत्र का विधान क्यों किया गया? इसका उत्तर यह है कि एक समय में लोक के एक चरमान्त से दूसरे चरमान्त तक गति केवल परमाणु की होती है, स्कंध की नहीं होती। इसका समर्थन पुद्गल की नोभवोपपात गति से होता है -से किं तं पोग्गल णो भवोववायगती? पोग्गल णो भवोववायगती जण्णं परमाण पोग्गले लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ पचत्थिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति.....। किरिया-पदं क्रिया-पदम् ११७. पुरिसे णं भंते ! वासं वासति, वासं पुरुषः भदन्त! वर्षं वर्षति, वर्ष नो नो वासतीति हत्थं वा पायं वा बाहं वा वर्षति इति हस्तं वा पादं वा बाहां वा उरुं वा आउंटावेमाणे वा पसारेमाणे वा ऊरूं वा आकुञ्चयन् वा प्रसारयन् वा कतिकिरिए ? कतिक्रियः? १. त. र. वा. ५/६-७, आ आकाशादेक द्रव्याणि निष्क्रियाणि च। ३. पण्ण. ३६/६२ २. पण्ण. १६/४३। क्रिया-पद ११७. भंते ! वर्षा हो रही है या नहीं हो रही है-यह जानने के लिए हाथ, पैर, बाहु, जंघा का आकुंचन और प्रसारण करते हुए पुरुष के कितनी क्रिया लगती है? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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