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सत्तमो उद्देसो : सातवां उद्देशक
हिन्दी अनुवाद
१०८. भंते ! उपयोग कितने प्रकार का प्रज्ञप्त
मूल
संस्कृत छाया १०६. कतिविहे णं भंते! उवओगे कतिविधः भदन्त ! उपयोगः प्रज्ञप्तः? पण्णत्ते? गोयमा! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, एवं गौतम! द्विविधः उपयोगः प्रज्ञप्तः, एवं जहा उवओगपदं पण्णवणाए तहेब निरव- यथा उपयोगपदं प्रज्ञापनायां तथैव सेसं नेयव्वं, पासणयापदं च नेयव्वं ॥ निरवशेषं भणितव्यम्, दर्शनपदं च
नेतव्यम्।
गौतम! उपयोग दो प्रकार का प्रज्ञप्त है-इस प्रकार प्रज्ञापना का उपयोग पद (पण्णवणा पद २६) निरवशेष ज्ञातव्य है और दर्शन पद (पद ३०) भी ज्ञातव्य है।
१०६. सेवं भंते ! सेवं भंते! ति॥
तदेवं भदन्त! तदेवं भदन्त! इति।
१०६. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही
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