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________________ भगवई सिढिलीकया, निट्टियाई कयाई, विष्परिणामियाई खिप्पामेव परिविद्धत्थाई भवंति । जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवंति । से जहा वा केइ पुरिसे सुक्कतणहत्थगं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा- से नूणं गोयमा ! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे विपामेव मसमसाविज्जति ? हंता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराई कम्माई, सिढिलीकयाई, निट्टियाई कयाई, विष्परिणामियाई विपामेव विद्धत्थाई भवंति । जावतियं तावतियं पि णं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवंति । से जहानामए के पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदगबिंदुं पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! से उदगबिंदू तत्तंसि अयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे विप्पामेव विद्धसमागच्छइ ? हंता विद्धसमागच्छइ । एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराई कम्माई सिढिलीकयाई, निट्टियाई कयाई, विष्परिणामियाई विपामेव विद्वत्थाई भवंति । जावतियं तावतियं पि णं वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवंति । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - जावतियं अन्नगिलायए समणे निग्गंथे कम्मं निज्जरेति तं चैव जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ॥ १. उत्तर. ३०/१-४ ३६३ यथा बादराणि कर्माणि शिथिलीकृतानि, निष्ठितानि कृतानि, विपरिणामितानि क्षिप्रमेव परिविध्वस्तानि भवन्ति यावत्कं तावत्कं अपि ते वेदनां वेदयन्तः महानिर्जराः महापर्यवसानाः भवन्ति । अथ यथा वा कश्चित् पुरुषः शुष्कतृणहस्तकं जाततेजसि प्रक्षिपेत् सः अथ नूनं गौतम ! सः शुष्कः तृणहस्तगतः जाततेजसि प्रक्षिप्तः सन् क्षिप्रमेव 'मसमसाविज्जति' ? Jain Education International हन्तमसमसाविज्जति । एवमेव गौतम ! श्रमणानां निर्ग्रन्थानाम् यथा बादराणि कर्माणि शिथिलीकृतानि निष्ठितानि कृतानि, विपरिणामितानि क्षिप्रमेव विध्वस्तानि भवन्ति । यावत्कं तावत्कं अपि ते वेदनां वेदयन्तः महानिर्जराः महापर्यवसानाः भवन्ति । अथ यथानामकः कश्चित् पुरुषः तप्ते 'अयकवल्लंसि' उदकबिन्दुं प्रक्षिपेत् सः ( अथ) नूनं गौतम ! सः उदकबिन्दुः तप्ते 'अयकवल्लंसि' प्रक्षिप्तः सन् क्षिप्रमेव विध्वंसमागच्छति ? हन्त ! विध्वंसमागच्छति । एवमेव गौतम ! श्रमणानां निर्ग्रन्थानां यथा बादराणि कर्माणि शिथिलीकृतानि, निष्ठितानि कृतानि, विपरिणामितानि क्षिप्रमेव विध्वस्तानि भवन्ति । यावत्कं तावत्कं अपि ते वेदनां वेदयन्तः महानिर्जराः महापर्यवसानाः भवन्ति । तत्तेनार्थेन गौतम! एवमुच्यते- यावत्कं अन्नलायकः श्रमणः निग्रंथ, कर्म निर्जीर्यति तच्चैव यावत् वर्षकोटाकोट्या वा नो क्षपयन्ति ॥ १. सूत्र ५१-५२ प्रस्तुत आलापक में निर्जरा का तारतम्य बतलाया गया है। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य भगवई ६ / १-४ का भाष्य । निर्जरा के तारतम्य का हेतु है अध्यवसाय की विशुद्धि का अपकर्ष भाष्य श. १६ : उ. ४ : सू. ५२ और विपरिणमन को प्राप्त किए हुए सूक्ष्म कर्म-पुद्गल शीघ्र विध्वस्त हो जाते हैं। वे जिस - तिस मात्रा में भी वेदना का वेदन करते हुए महानिर्जरा और महा-पर्यवसान वाले होते हैं। For Private & Personal Use Only गौतम! जैसे कोई पुरुष सूखे घास के पूलों को अग्नि में डालता है, वह अग्नि में डाला हुआ सूखा घास का पूला शीघ्र ही भस्म हो जाता है? हां, भस्म हो जाता है। गौतम ! इसी प्रकार श्रमण-निर्ग्रथों के शिथिल रूप में किए हुए, निःसत्त्व किए हुए और विपरिणमन को प्राप्त किए हुए स्थूल कर्म - पुद्गल शीघ्र ही विध्वस्त हो जाते हैं। वे जिस तिस मात्रा में भी वेदना का वेदन करते हुए महानिर्जरा और महापर्यवसान वाले होते हैं। गौतम! जैसे कोई पुरुष तपे हुए लोहे के तवे पर पानी की बूंद गिराता है। तपे हुए लोहे के तवे पर गिराई हुई पानी की बूंद शीघ्र ही विध्वस्त हो जाती है? हां, विध्वस्त हो जाती है। गौतम! उसी प्रकार श्रमण-निर्ग्रथों के शिथिल रूप में किए हुए, निःसत्त्व किए हुए और विपरिणमन को प्राप्त किए हुए स्थूल कर्म - पुद्गल शीघ्र ही विध्वस्त हो जाते हैं। वे जिस तिस मात्रा में वेदना का वेदन करते हुए महानिर्जरा और महापर्यवसान वाले होते हैं। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है- अन्नग्लायक श्रमण-निर्ग्रथ जितने कर्मों की निर्जरा करता है, पूर्ववत् यावत् नरक में नैरयिक इतने कर्मों का करोड़ वर्ष, करोड़ों वर्ष अथवा कोटाकोटि वर्ष में क्षय नहीं करता । और प्रकर्ष ।' छठे शतक में अपकर्ष और प्रकर्ष की व्याख्या के लिए तीन दृष्टान्त बतलाए गए हैं। प्रस्तुत आलापक में 'शाल्मली की गण्डिका' का दृष्टान्त है और कर्दम राग का दृष्टान्त नहीं है। जयाचार्य www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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