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भगवई
३३३ सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं दाहावक्रान्तिकः कालमासे कालं कृत्वा किच्चा दोच्चं पि छठाए तमाए पुढवीए द्विः अपि षष्ठ्यां तमायां पृथिव्याम् उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उत्कर्षकालस्थिके नरके नैरयिकत्वेन उववन्जिहिति।
उपपत्स्यते।
से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता दोचं पि सः तस्मात् अनन्तरम् उद्वर्त्य द्विः इत्थियासु उववज्जिहिति। तत्थ विणं अपि स्त्रीषु उपपत्स्यते। तत्रापि सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं शस्त्रवध्यः दाहावक्रान्तिकः कालमासे किचा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए कालं कृत्वा पञ्चभ्यां धूमप्रभायां उक्कोसकालाढिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए पृथिव्याम् उत्कर्षकालस्थितिके नरके उववन्जिहिति।
नैरयिकत्वेन उपपत्स्यते।
श. १५ : सू. १८६ शस्त्रवध्य होता हुआ दाह की उत्पत्ति से कालमास में काल को प्राप्त कर दूसरी बार भी छट्ठी तमा पृथ्वी में उत्कृष्ट कालस्थितिवाली नरक में नैरयिक के रूप में उपपन्न होगा। वह उसके अनन्तर वहां से उद्वृत्त होकर दूसरी बार भी स्त्री के रूप में उपपन्न होगा। वहां पर भी शस्त्रवध्य होता हुआ दाह की उत्पत्ति से कालमास में काल को प्राप्त कर पांचवीं धूमप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट कालस्थितिवाली नरक में नैरयिक के रूप में उपपन्न होगा। वह उसके अनन्तर वहां से उत्त होकर उरःपरिसर्प-(पेट के बल पर चलने वाले सांप) के रूप में उपपन्न होगा। वहां पर भी शस्त्रवध्य होता हुआ दाह की उत्पत्ति से कालमास में काल को प्राप्त कर दूसरी बार भी धूमप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट कालस्थितिवाली नरक में नैरयिक के रूप में उपपन्न
से णं ततो अणंतरं उच्चट्टित्ता उरएस सः ततः अनन्तरम् उद्वर्त्य उरगेषु उववन्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे उपपत्स्यते। तत्रापि शस्त्रवध्यः दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोचं दाहावक्रान्तिक: कालमासे कालं कृत्वा पि पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए द्विः अपि पञ्चम्यां धूमप्रभायां उक्कोसकालट्टिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए पृथिव्याम् उत्कर्षकालस्थितिके नरके उववज्जिहिति।
नैरयिकत्वेन उपपत्स्यते।
होगा।
से णं तओहिंतो अणंतरं उच्चट्टित्ता दोचं सः तस्मात् अनन्तरम् उद्वर्त्य द्विः पि उरएसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं अपि उरगेषु उपपत्स्यते। तत्रापि सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं शस्त्रवध्यः दाहावक्रान्तिकः कालमासे किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए ___ कालं कृत्वा चतुर्थ्यां पङ्कप्रभायां उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए पृथिव्याम् उत्कर्षकालस्थितिके नरके उववन्जिहिति।
नैरयिकत्वेन उपपत्स्यते।
से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता सीहेसु सः ततः अनन्तरम् उद्वर्त्य सिंहेषु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे उपपत्स्यते। तत्रापि शस्त्रवध्यः दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोचं दाहावक्रान्तिकः कालमासे कालं कृत्वा पि चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए द्विः अपि चतुर्थ्यां पङ्कप्रभायां पृथिव्याम् उक्कोसकालढिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उत्कर्षकालस्थितिके नरके नैरयिकत्वेन उववज्जिहिति।
उपपत्स्य ते। से णं तओहितो अणंतरं उच्चट्टित्ता दोचं । सः तस्मात् अनन्तरम् उद्वर्त्य द्विः पि सीहेसु उववन्जिहिति। तत्थ वि णं अपि सिंहेषु उपपत्स्यते। तत्रापि सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं शस्त्रवध्यः दाहावक्रान्तिकः कालमासे किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए कालं कृत्वा तृतीयायां वालुकाप्रभायां उक्कोसकालट्टिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए पृथि-व्याम् उत्कर्षकालस्थितिके नरके उववज्जिहिति।
नैरयिकत्वेन उपपत्स्यते।
वह उसके अनन्तर वहां से उदवृत्त होकर दूसरी बार भी उरपरिसर्प के रूप में उपपन्न होगा। वहां पर भी शस्त्रवध्य होता हुआ दाह की उत्पत्ति से कालमास में काल को प्राप्त कर चौथी पंकप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट कालस्थिति वाली नरक में नैरयिक के रूप में उपपन्न होगा। वह उसके अनन्तर वहां से उवृत्त होकर सिंह के रूप में उपपन्न होगा। वहां पर भी शस्त्रवध्य होता हुआ दाह की उत्पत्ति से कालमास में काल को प्राप्त कर दूसरी बार भी चौथी पंकप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट कालस्थिति-वाली नरक में नैरयिक के रूप में उपपन्न होगा। वह उसके अनन्तर वहां से उवृत्त होकर दूसरी बार भी सिंह के रूप में उपपन्न होगा। वहां पर भी शस्त्रवध्य होता हुआ दाह की उत्पत्ति से कालमास में काल को प्राप्त कर तीसरी बालुकाप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट कालस्थितिवाली नरक में नैरयिक के रूप में उपपन्न होगा। वह उसके अनन्तर वहां से उवृत्त होकर पक्षी के रूप में उपपन्न होगा। वहां पर भी शस्त्रवध्य होता हुआ दाह की उत्पत्ति से कालमास में काल को प्राप्त कर दूसरी बार
से णं ततो अणंतरं उव्वट्टिता पक्वीसु सः ततः अनन्तरम् उद्वर्त्य पक्षिषु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे उपपत्स्यते। तत्रापि शस्त्रवध्यः दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोचं दाहावक्रान्तिकः कालमासे कालं कृत्वा पि तचाए वालुयप्पभाए पुढवीए द्विः अपि तृतीयायां बालुकाप्रभायां
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