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भगवई
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श. १५ : सू. १४२ ई. पू. आयु महावीर के जीवन-प्रसंग
गोशाल के जीवन प्रसंग ५६६ ३३ तृतीय वर्षावास
पहला वर्षावास, दीक्षा पर्याय १ वर्ष (महावीर के साथ) ५६५ ३४ चतुर्थ वर्षावास
दूसरा वर्षावास, दीक्षा पर्याय २ वर्ष (महावीर के साथ) ५६४ ३५ पंचम वर्षावास
तीसरा वर्षावास, दीक्षा पर्याय ३ वर्ष (महावीर के साथ) ५६३ ३६ षष्ठ वर्षावास
चौथा वर्षावास, दीक्षा पर्याय ४ वर्ष (महावीर के साथ) ५६२ ३७ सप्तम वर्षावास
पांचवां वर्षावास, दीक्षा पर्याय ५ वर्ष (महावीर के साथ) ५६१ ३८ अष्टम वर्षावास
छठा वर्षावास, दीक्षा पर्याय ६ वर्ष (महावीर के साथ) ५६० ३६ नवम वर्षावास महावीर से अलग
सातवां वर्षावास, दीक्षा पर्याय ७ वर्ष (महावीर के साथ) ५५६ ४० दशम वर्षावास
८वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय ८ वर्ष ५५५ ४१ ग्यारहवां
वें वर्षावास से पूर्व महावीर से अलग, इसी वर्ष तेजोलेश्या-प्राप्ति,
दीक्षा पर्याय ६ वर्ष ५५७ ४२ बारहवें वर्षावास के पश्चात् कैवल्य १०वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १० वर्ष, दिशाचरों से मिलन, निमित्त
भाषी, जिनत्व-प्राप्ति ५५६ ४३ १३वां वर्षावास
११वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय ११ वर्ष १४वां वर्षावास
१२वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १२ वर्ष १५वां वर्षावास
१३वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १३ वर्ष ५५३ ४६ १६वां वर्षावास
१४वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १४ वर्ष ५५२ ४७ १७वां वर्षावास
१५वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १५ वर्ष ५५१ ४८ १८वां वर्षावास
१६वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १६ वर्ष ५५० ४६ १६वां वर्षावास
१७वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १७ वर्ष ५४६ ५० २०वां वर्षावास
१८वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १८ वर्ष ५४८ ५१ २१वां वर्षावास
१६वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय १६ वर्ष ५४७ ५२ २२वां वर्षावास
२०वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय २० वर्ष ५४६ ५३ २३वां वर्षावास
२१वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय २१ वर्ष ५४५ ५४ २४वां वर्षावास
२२वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय २२ वर्ष ५४४ ५५ २५वां वर्षावास
२३वां वर्षावास, दीक्षा पर्याय २३ वर्ष ५४३ ५६ २६वांवर्षावास; वर्षावाससे पूर्वतेजोलेश्याकीघटना २४वेंवर्षावासकेपश्चात्,२४ वर्षकीदीक्षापर्यायमें मृत्यु।
(श्रावस्ती की घटना) ५४२-५२६ २७वें वर्षावास से-४१वें वर्षावास तक ५२७ ४२वें वर्षावास में-निर्वाण
गोशाल की मृत्यु के १६ वर्ष पश्चात् गोसालस्स नीहरण-पदं गोशालस्य निर्हरण-पदम्
गोशाल का निर्हरण-पद १४२. तए णं आजीविया थेरा गोसालं ततः आजीविकाः स्थविराः गोशालं १४२. 'मंखलिपुत्र गोशाल को मृत्यु-प्राप्त मंखलिपुत्तं कालगयं जाणित्ता मंखलिपुत्रं कालगतं ज्ञात्वा हाला- जानकर आजीवक स्थविरों ने हालाहला हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स हलायाः कुम्भकार्याः कुम्भकारापणस्य कुंभकारी के कुंभकारापण के बहु मध्यदेश दुवाराई पिहेंति, पिहेत्ता हालाहलाए द्वाराणि पिदधते पिधाय हालाहलायाः भाग में श्रावस्ती नगरी का चित्रांकन कर कुंभकारीए कुभकारावणस्स बहुमज्झ- कुम्भकार्याः कुम्भकारापणस्य बहुमध्य- मंखलिपुत्र गोशाल के बाएं पैर को रज्जु से देसभाए सावत्थिं नगरिं आलिहंति, देशभागे श्रावस्ती नगरीम आलिखन्ति, बांधा, बांधकर तीन बार मुंह पर थूका, आलिहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स आलिख्य गोशालस्य मंखलिपुत्रस्य थूककर चित्रित श्रावस्ती नगरी के भंगाटकों, सरीरगं वामे पदे सुंबेणं बंधति, बंधित्ता शरीरकं वामे पदे शुम्बेन बध्नन्ति, तिराहों, चौराहों, चौहटों, चार द्वार वाले तिक्खुत्तो मुहे उभंति, उट्टभित्ता बद्ध्वा त्रिः मुखे अवष्ठीवन्ति, स्थानों, राजमार्गों और मार्गों पर निम्न-निम्न सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग- अवष्ठीव्य श्रावस्त्यां नगर्यां शृंगाटक- स्वर में उद्घोष करते हुए, उद्घोष करते हुए -चउक्क - चचर - चउम्मुह - महापह- त्रिक-चतुष्क-चत्वर-चतुर्मुख-महापथ- इस प्रकार कहा-देवानुप्रियो! मंखलिपुत्र
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