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________________ सूत्र २४-३९ ४०-४१ ४२-४३ ४४ ४५ ४७-५४ ५५-६० ६१-७३ ७४-८७ ८८-९२ ९३-९४ सूत्र पृष्ठ आमुख (xviii) पृष्ठ सूत्र पृष्ठ दूसरा उद्देशक ११९-१२४ छठा उद्देशक तीसरा उद्देशक १२५ सांतर-निरंतर उपपन्नादि पद १५० चौथा उद्देशक ९६-१०० चमरचंच आवास पद १५०-१५२ नरक और नैरयिकों में अल्प-महत् पद १२६-१२७ १०१-१२३ । उद्रायण कथा पद १५२-१६० नैरयिकों के स्पर्शानुभव पद १२८ सातवां उद्देशक नरकों का बाहल्य-क्षुद्रत्व पद १२८-१२९ १२४-१२५ । भाषा पद १६१-१६२ नरक-परिसामन्त पद १२९ १२६-१२७ मन पद १६३-१६४ लोक मध्य पद १२९-१३१ १२८-१२९ काय पद १६४-१६६ लोक पद १३२-१३४ १३०-१४६ मरण पद १६६-१६९ धर्मास्तिकाय आदि का परस्पर १३४-१४१ आठवां उद्देशक स्पर्श पद १४७-१४८ कर्म प्रकृति पद १७० धर्मास्तिकाय आदि का अवगाढ़ पद १४२-१४६ नौवां उद्देशक लोक पद १४६-१४८ १४९-१६७ भावितात्म-विक्रिया-पद १७१-१७५ पांचवां उद्देशक दसवां उद्देशक आहार पद १६८-१६९ छाद्मस्थिक समुद्घात पद १७६ चौदहवां शतक पृष्ठ सूत्र १७९-१८० सातवां उद्देशक पहला उद्देशक ७७-७९ गौतम का आश्वासन पद २०९-२१० संग्रहणी गाथा १८१ ८०-८१ तुल्य पद २१०-२१२ लेश्यानुसारी उपपात पद १८१-१८३ भक्त-प्रत्याख्यान का आहार पद २१३-२१४ नैरयिक आदि का गति विषयक पद १८३-१८४ ८४-८९ लव सप्तम देव पद २१४-२१५ नैरयिक का अनंतर उपपन्नक आदि पद १८४-१८७ आठवां उद्देशक दूसरा उद्देशक ९०-१०० अबाधा-अंतर पद २१६-२१७ उन्माद पद १८८-१९० १०१-१०६ वृक्ष का पुनर्भव पद २१८-२१९ वृष्टिकाय करण पद १९०-१९१ १०७-१०९ अम्मड़ अंतेवासी पद २१९-२२२ तमस्कायकरण पद १९१-१९२ ११०-११२ अम्मड़ चर्या पद २२२-२२४ तीसरा उद्देशक ११३-११४ अव्याबाध देव शक्ति पद २२४-२२५ विनय विधि पद १९३-१९५ ११५-११६ शक्र का शक्ति पद २२५ नैरयिक-नैरयिकों का प्रत्यनुभव पद १९५ ११७-१२२ जुंभक देव पद २२५-२२७ चौथा उद्देशक नौवां उद्देशक पुद्गल जीव परिणाम पद १९६-१९९ १२३-१२५ सरूप-सकर्म लेश्या पद २२८-२२९ पांचवां उद्देशक १२६-१२८ आत्मा-अनात्मा-पुद्गल पद अग्निकाय का अतिक्रमणपद २००-२०२ १२९ इष्ट-अनिष्ट आदि पुद्गल पद २२९ प्रत्यनुभव पद २०२-२०३ १३०-१३१ देवों का सहस्र भाषा पद २३० देव का उल्लंघन-प्रलंघन पद २०३-२०४ १३२-१३५ सूर्य पद २३०-२३१ छट्ठा उद्देशक १३६-१३७ श्रमणों का तेजोलेश्या पद २३१-२३२ नैरयिक का आहार आदि पद २०५.२०६ दसवां उद्देशक देवेन्द्र का भोग पद २०७-२०८ १३८-१५५ केवली पद २३३-२३५ १-२ ८२-८३ ४-१५ १६-२० २१-२४ २५.२८ २९-३९ ४०-४३ ४४-५३ २२९ ५४-६० ६१-६७ ६८-७० ७१-७३ ७४-७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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