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________________ (xix) आमुख १-१९ २०-२१ २२-२९ ३०-३६ ३७-४३ ४४-५२ ५३-५६ ११९ ५७-५९ ६०-७१ ७२-७५ २९९ ७६ पन्द्रहवा शतक पृष्ठ सूत्र पृष्ठ २३९-२४३ १०४-१०६ गोशाल द्वारा सर्वानुभूति का भस्म २९३-२९४ गोशालक पद २४५-२५० राशि करण पद भगवान् का विहार पद . २५०-२५१ १०७-१०९ गोशाल द्वारा सुनक्षत्र का २९४-२९५ प्रथम मासखमण पद २५१-२२५ परिताप-पद दूसरा मासखमण पद २५५-२५७ ११०-११४ गोशाल का भगवान् के वध के २९५-२९६ तीसरा मासखमण पद २५७-२५९ लिए तेज-निसर्जन पद चतुर्थ मासखमण पद २५९-२६१ ११५ श्रावस्ती में जनप्रवाद पद गोशाल का शिष्य रूप में २६२-२६४ ११६-११८ गोशाल से श्रमणों का प्रश्न २९७-२९८ अंगीकरण पद व्याकरण पद तिल-स्तंभ पद २६५-२६६ गोशाल का संघ भेद पद २९८-२९९ बाल तपस्वी वैश्यायन पद २६६-२७४ १२० गोशाल का प्रतिक्रमण पद तिल के पौधे की निष्पत्ति : २०७-२७६ १२१-१२७ गोशाल के द्वारा नानासिद्धान्त ३००-३०२ गोशाल का अपक्रमण पद प्ररूपण पद गोशाल के तेजोलेश्या का उत्पत्ति २७६-२७७ ।। १२८-१३८ अयम्पुल आजीविकोपासक पद ३०२-३०५ पद १३९-१४० गोशाल द्वारा अपनी मरणोत्तर ३०५-३०६ गोशाल की पूर्व कथा का उपसंहार २७७-२७९ क्रिया का निर्देश पद १४१ गोशाल का परिणाम-परिवर्तन ३०६-३११ गोशाल का अमर्ष पद २७९ पूर्वक कालधर्म पद गोशाल का स्थविर आनंद के २७९.२८५। १४२-१४३ गोशाल का निर्हरण पद ३११-३१५ समक्ष आक्रोश का प्रदर्शन पद १४४-१४६ भगवान् के रोग-आतंक ३१५-३१६ आनंद स्थविर का भगवान से २८५-२८७ प्रादुर्भवन पद निवेदन पद १४७-१४८ सिंह का मानसिक दुःख पद ३१६-३१७ आनंद स्थविर द्वारा गौतम आदि २८७ १४९-१५२ भगवान् द्वारा सिंह को ३१७-३१९ को अनुज्ञापन पद आश्वासन पद गोशाल का भगवान् के प्रति २८८-२९२ १५३-१६१ सिंह द्वारा रेवती के घर से ३१९-३२४ आक्रोश पूर्व स्वसिद्धांत निरूपण भैषज्य आनयन पद १६२-१६३ भगवान् का आरोग्य पद भगवान् द्वारा गोशाल के वचन २९२ १६४ सर्वानुभूति का उपपात पद ३२४-३२५ का प्रतिकार पद सुनक्षत्र का उपपात पद ३२५ गोशाल का पुनः आक्रोश पद २९२-२९३ १६६-१९० गोशाल का भवभ्रमण पद ३२५-३४० सोलहवां शतक ७७-७८ पद ७९-८० ८१-९६ ९७-९८ ९९-१०० १०१ पद ३२४ १०२ १०३ सूत्र आमुख ३४३ ८ -२७ ३४८-३५१ पहला उद्देशक संग्रहणी गाथा वायुकाय पद अग्निकाय पद क्रिया पद ३४५ ३४५-३४६ २८-३२ ३३-३४ ३५-४० ४१-४३ अधिकरणी-अधिकरण पद दूसरा उद्देशक जीवों का जरा-शोक पद शक्र का अवग्रह अनुज्ञापन पद शक्र संबंधी व्याकरण पद चैतन्य-अचैतन्य कृत कर्म पद ३५२-३५३ ३५३-३५४ ३५४-३५६ ३५६-३५७ ३४६ ३४६-३४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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