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अट्ठमो उद्देसोः : आठवां उद्देशक
हिन्दी अनुवाद
कर्म प्रकृति पद १४७. भंते! कर्म प्रकृतियां कितनी प्रज्ञप्त हैं?
संस्कृत छाया कम्मपगडि-पदं
कर्मप्रकृति-पदम् १४७. कति णं भंते! कम्मपगडीओ कति भदन्त! कर्मप्रकृतयः प्रज्ञप्ताः? पण्णत्ताओ? गोयमा! अट्ठ कम्मपगडीओ गौतम! अष्ट कर्मप्रकृतयः प्रज्ञप्ताः। एवं पण्णत्ताओ। एवं बंधटिइ-उद्देसो बन्धस्थिति उद्देशः भणितव्यः निरवशेषः भाणियच्चो निरवसेसो जहा यथा प्रज्ञापनायाम्। पण्णवणाए॥
गौतम! कर्म प्रकृतियां आठ पज्ञप्त हैं। इस प्रकार बंध-स्थिति उद्देशक प्रज्ञापना की भांति निरवशेष वक्तव्य है।
भाष्य
१. सूत्र १४७
बंध स्थिति के लिए द्रष्टव्य प्रज्ञापना २३/२४-२०२।
१४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
तदेवं भदन्त! तदेवं भदन्त ! इति।
१४८. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही
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