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श. १३ : आमुख
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भगवई
आवीचिमरण, अवधिमरण और आत्यंतिकमरण का उल्लेख नहीं है।" समवायांग में सतरह प्रकार के मरण बतलाए गए हैं, उनमें इन तीनों का उल्लेख मिलता है। "
भावितात्मा अणगार की विक्रिया का वर्णन बहुत विस्तार से किया गया है। विक्रिया करने की साधना के सूत्र उपलब्ध नहीं है। उनकी परंपरा संभवतः गुप्त रखी गई थी इसीलिए वे अज्ञात हो गए। प्रस्तुत शतक में कुछ उद्देशक प्रज्ञापना से संबद्ध हैं। इस प्रकार अनेक महत्त्वपूर्ण विषय इस शतक में चर्चित हुए हैं। विस्तार से अध्ययन किया जाए तो प्रस्तुत आगम का प्रत्येक शतक स्वतंत्र ग्रंथ जैसा प्रतीत होता है।
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