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भगवई
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श. १२ : उ. १० : सू. २२३ नहीं है-पूर्ववत् वही अर्थ प्रत्युच्चारित है? गौतम! १. स्व-पर्याय की अपेक्षा आत्मा
गोयमा! १. अप्पणो आदिढे आयय। गौतम! १. आत्मनः आदिष्टः आत्मा।
२. परस्स आदिढे नोआया
२. परस्य आदिष्ट: नो आत्मा
३. तदुभयस्स आदिढे अवत्तव्वं-
आयाति य नोआयाति य
३. तदुभयस्य आदिष्टः अवक्तव्यम्आत्मा इति च नो आत्मा इति च
४-७. देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसे ४-७. देशः आदिष्टः सद्भावपर्यवः । आदिढे असब्भावपज्जवे चउभंगो देशः आदिष्टः असद्भावपर्यवः ।
चतुर्भङ्गः
६.११. सम्भावणं तदुभयेण य ८-११. सद्भावेन तदुभयेन च चउभंगो
चतुर्भङ्गः १२-१५. असम्भावेणं तदुभयेण य १२-१५. असद्भावेन तदुभयेन च चउभंगो
चतुर्भङ्गः १६. देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसे १६. देशः आदिष्टः सद्भावपर्यवः देशः
आदिढे असम्भावपज्जवे देसे आदिष्ट: असद्भावपर्यवः देशः आदितु तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए आदिष्टः तदुभयपर्यवः चतुःप्रदेशिक: खंधे आया य नोआया य स्कन्धः आत्मा च नो आत्मा च अवत्तव्वं-आयाति य नोआयाति अवक्तव्यम्-आत्मा इति च नो आत्मा
इति च
२. पर-पर्याय की अपेक्षा नो आत्मा (आत्मा नहीं) है। ३. दोनों की अपेक्षा अवक्तव्य है-आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। ४-७. चतुष्प्रदेशी स्कंध का देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसका देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है-इस प्रकार चार भंग होते हैं। ८.११. सद्भाव पर्याय और तदुभय पर्याय की अपेक्षा चार भंग। १२-१५. असद्भाव पर्याय और तदुभय पर्याय की अपेक्षा चार भंग। १६. चतुष्प्रदेशी स्कंध का देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसका देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसका देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट है इसलिए चतुष्प्रदेशी स्कंध आत्मा, नो आत्मा और अवक्तव्य-आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। १७. चतुष्प्रदेशी स्कंध का देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसका देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, उसके देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं इसलिए चतुष्प्रदेशी स्कंध आत्मा है, नो आत्मा है और अवक्तव्य हैं-आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य
१७. देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसे १७. देशः आदिष्टः सद्भावपर्यवः देशः
आदिढे असम्भावपज्जवे देसा आदिष्ट: असद्भावपर्यवः देशाः आदिवा तदुभयपज्जवा आदिष्टाः तदुभयपर्यवाः चतुःप्रदेशिक: चउप्पएसिए खंधे आया य स्कन्धः आत्मा च नो आत्मा च नोआया य अवत्तब्वाई-आयाओ अवक्तव्यानि-आत्मानः च नो य नोआयाओ य
आत्मानः च।
नहीं है।
TOIDI
१८. देसे आदिढे सम्भावपज्जवे देसा १८. देशः आदिष्टः सद्भावपर्यवः
आदिट्ठा असम्भावपज्जवा देसे देशाः आदिष्टाः असदभावपर्यवाः देशः आदिढे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए आदिष्टः तदुभयपर्यवः चतुःप्रदेशिक: खंधे आया य नोआयाओ य स्कन्धः आत्मा च नो आत्मानः च अवत्तव्वं-आयाति य नोआयाति अवक्तव्यम्-आत्मा इति च नो आत्मा
इति च
१८. चतुष्प्रदेशी स्कंध का देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसके देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, उसका देश तदुभय-पर्यव के रूप में आदिष्ट है, इसलिए चतुष्प्रदेशी स्कंध आत्मा है, नो आत्मा हैं और अवक्तव्य-आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। १६. चतुष्प्रदेशी स्कंध के देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, उसका देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसका देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट
१६. देसा आदिट्ठा सम्भावपज्जवा देसे १६. देशाः आदिष्टाः सदभाव-पर्यवाः
आदिढे असन्भावपज्जवे देसे देशः आदिष्ट: असद्भावपर्यवः देशः आदिढे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए आदिष्टः तदुभयपर्यवः चतुष्प्रदेशिकः खंधे आयाओ य नोआया य स्कन्धः आत्मानः च नो आत्मा च ।
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