SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवई ५. देसे आदि सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा तिपएसिए खंधे आया य नोआयाओ य ६. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदि असन्भावपज्जवे तिपएसिए खंधे आयाओ य नो आयाओ य ७. देसे आदि सम्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं - आयाति य नोआयाति य ८. देसे आदि सन्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वाईआयाओ य नोआयाओ य ६. देसा आदिट्ठा सम्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आयाओ य अवत्तव्यंआयाति य नोआयाति य १०. देसे आदि असम्भावपज्जवे देसे आदि तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोआया य अवत्तव्वंआयाति य नोआयाति य ११. देसे आदिट्ठे असन्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे नोआया य अवत्तव्बाईआयाओ य नोआयाओ य १२. देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोआयाओ य अवत्तव्वं - आयाति य नोआयाति य Jain Education International ६६ ५. देशः आदिष्टः सद्भावपर्यवः देशाः आदिष्टाः असद्भावपर्यवाः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः आत्मा च नो आत्मानः च ६. देशाः आदिष्टाः सद्भावपर्यवाः देश: आदिष्टः असद्भावपर्यवाः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः आत्मानः च नो आत्मा च ७. देशः आदिष्टः सद्भावपर्यवः देशः आदिष्टः तदुभयपर्यवः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः आत्मा च अवक्तव्यम् - आत्मा इति च नो आत्मा इति च ८. देशः आदिष्टः सद्भावपर्यवः देशाः आदिष्टाः तदुभयपर्यवाः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः आत्मा च अवक्तव्यानिआत्मानः च नो आत्मानः च ६. देशाः आदिष्टाः सद्भावपर्यवाः देशः आदिष्टः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः अवक्तव्यम् - आत्मा इति च तदुभयपर्यवः आत्मानः च 'च नो आत्मा १०. देशः आदिष्टः असद्भावपर्यवः देश: आदिष्टः तदुभयपर्यवः त्रिप्रादेशिकः स्कन्धः नो आत्मा च अवक्तव्यम् - आत्मा इति च नो आत्मा इति च ११. देशः आदिष्टः असद्भावपर्यवः देशाः आदिष्टाः तदुभयपर्यवाः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः नो आत्मा च अवक्तव्यानि - आत्मानः च नो आत्मानः च १२. देशाः आदिष्टाः असद्भावपर्यवाः देशः आदिष्टः तदुभयपर्यवः त्रिप्रदेशिकः स्कन्धः नो आत्मानः च अवक्तव्यम्आत्मा इति च नो आत्मा इति च For Private & Personal Use Only श. १२ : उ. १० : सू. २२१ ५. त्रिप्रदेशी स्कंध का देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, उसके देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं इसलिए त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा भी है, नो आत्मा भी हैं। ६. त्रिप्रदेशी स्कंध के देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, उसका देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, इसलिए त्रिप्रदेशिक स्कंध आत्मा भी है, नो आत्मा भी है। ७. त्रिप्रदेशिक स्कंध का देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसका देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट है, इसलिए त्रिप्रदेशिक स्कंध आत्मा है और अवक्तव्य है- आत्मा और नो आत्मा- दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। ८. त्रिप्रदेशिक स्कंध का देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसके देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं इसलिए त्रिप्रदेशिक स्कंध आत्मा है और अवक्तव्य हैं- आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। ६. त्रिप्रदेशिक स्कंध के देश सद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, उसका देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट है इसलिए त्रिप्रदेशिक स्कंध आत्मा हैं और अवक्तव्य है - आत्मा और नो आत्मा- दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। १०. त्रिप्रदेशिक स्कंध का देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट है, उसका देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट है इसलिए त्रिप्रदेशिक स्कंध नो आत्मा है और अवक्तव्य है- आत्मा और नो आत्मा- दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। ११. त्रिप्रदेशिक स्कंध का देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं उसके देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं इसलिए त्रिप्रदेशिक स्कंध नो आत्मा है और अवक्तव्य हैं- आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है। १२. त्रिप्रदेशिक स्कंध के देश असद्भाव पर्याय के रूप में आदिष्ट हैं, उसका देश तदुभय पर्याय के रूप में आदिष्ट है इसलिए त्रिप्रदेशिक स्कंध नो आत्मा हैं और www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy