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भगवई
श. १२ : उ. १० : सू. २१३-२१८ २१३. आया भंते ! सक्करप्पभा पुढवी ?
जहा स्यणप्पभा पुढवी तहा सक्करपभावि। एवं जाव अहेसत्तमा॥
आत्मा भदन्त! शर्कराप्रभा पृथिवी? यथा रत्नप्रभा पृथिवी तथा शर्कराप्रभा अपि। एवं यथा अधःसप्तमी।
२१३. भंते ! शर्कराप्रभा पृथ्वी आत्मा है ?
रत्नप्रभा पृथ्वी की भांति शर्कराप्रभा पृथ्वी की वक्तव्यता। इसी प्रकार यावत् अधःसप्तमी पृथ्वी की वक्तव्यता।
२१४. आया भंते। सोहम्मे कप्पे-पुच्छा। आत्मा भदन्त! सौधर्मः कल्पः-पृच्छा। गोयमा ! सोहम्मे कप्पे सिय आया गौतम! सौधर्मः कल्पः स्यात् आत्मा सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं- स्यात् नो आत्मा, स्यात् अवक्तव्यम्आयाति य नोआयाति य॥
आत्मा इति च नो आत्मा इति च।
२१४. भंते ! सौधर्मकल्प आत्मा है?-पृच्छा।
गौतम ! सौधर्म कल्प स्यात् आत्मा है, स्यात् नो आत्मा है, स्यात् अवक्तव्यआत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है।
२१५. से केणटेणं भंते ! जाव आयाति य
नो आयाति य?
तत् केनार्थेन भदन्त! यावत् आत्मा इति च नो आत्मा इति च?
गोयमा! अप्पणो आइढे आया, गौतम! आत्मनः आदिष्टः आत्मा, परस्स आइडे नोआया, तदुभयस्स परस्य आदिष्टः नो आत्मा, तदुभयस्य आइडे अवत्तव्वं-आयाति य नोआयाति आदिष्टः अवक्तव्यम्-आत्मा इति च य। से तेणटेणं तं चेव जाव आयाति य नो आत्मा इति च। तत् तेनार्थेन तच्चैव नोआयाति य। एवं जाव अचुए कप्पे॥ यावत् आत्मा इति च नो आत्मा इति
च। एवं यावत् अच्युतः कल्पः।
२१५. भंते ! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा
है, यावत् आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है ? गौतम ! स्वपर्याय की अपेक्षा आत्मा है, परपर्याय की अपेक्षा नो आत्मा है, दोनों की अपेक्षा अवक्तव्य-आत्मा और नो आत्मा दोनों एक साथ कहना शक्य नहीं है। इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है यावत् आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं हैं। इसी प्रकार यावत् अच्युतकल्प की वक्तव्यता।
२१६. आया भंते ! गेवेज्जविमाणे?
अण्णे गेवेज्जविमाणे? एवं जहा स्यणप्पभा तहेव। एवं अणुत्तरविमाणा वि। एवं ईसिपब्भारा
आत्मा भदन्त! ग्रैवेयकविमानम्? अन्यत् ग्रैवेयकविमानम्? एवं यथा रत्नप्रभा तथैव। एवम् अनुत्तरविमानानि अपि, एवम् ईषत्प्राग्भारा अपि।
२१६. भंते ! ग्रैवेयक विमान आत्मा है? ग्रैवेयक
विमान से भिन्न कोई आत्मा है? इसी प्रकार रत्नप्रभा की भांति वक्तव्यता। इसी प्रकार अनुत्तरविमान की भी, इसी प्रकार ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी की भी वक्तव्यता।
वि॥
२१७. आया भंते! परमाणुपोग्गले?
अण्णे परमाणुपोग्गले ? एवं जहा सोहम्मे तहा परमाणुपोग्गले वि भाणियचे॥
आत्मा भदन्त! परमाणुपुद्गलः, अन्यः परमाणुपुद्गलः? एवं यथा सौधर्मः तथा परमाणुपुद्गलः? अपि भणितव्यः।
२१७. भंते! परमाणु-पुद्गल आत्मा है?
परमाणु-पुद्गल से भिन्न कोई आत्मा है ? जैसे सौधर्मकल्प की वक्तव्यता, वैसे परमाणु-पुद्गल की वक्तव्यता।
२१८. आया भंते ! दुपएसिए खंधे ?
अण्णे दुपएसिए खंधे?
आत्मा भदन्त! द्विप्रदेशिक: स्कन्धः? अन्यः द्विप्रदेशिक: स्कन्धः?
२१८. भंते ! द्विप्रदेशिक स्कंध आत्मा है?
द्विप्रदेशिक स्कंध से भिन्न कोई आत्मा है ?
गौतम ! द्विप्रदेशिक स्कंध १. स्यात् आत्मा
गोयमा! दपएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोआया ३. सिय अवत्तव्य-आयाति य नोआयाति य
गौतम! द्विप्रदेशिकः स्कन्धः १. स्यात् आत्मा २. स्यात् नो आत्मा ३. स्यात् अवक्तव्यम्-आत्मा इति च नो आत्मा इति च
२. स्यात् नो आत्मा है ३. स्यात् अवक्तव्य-आत्मा और नो आत्मा दोनों को एक साथ कहना शक्य नहीं है
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