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________________ भगवई २५ श.८ : उ. १ : सू. ६६-७२ ६६. जइ मणमीसापरिणए किं सच्च- यदि मनोमिश्रकपरिणतः किं सत्यमनोमि- मणमीसापरिणए? मोसमणमीसा- कपरिणतः? मृषामनोमिश्रकपरिणतः? परिणए? जहा पयोगपरिणए तहा मीसा-परिणए यथा प्रयोगपरिणतः तथा मिश्रकपरिणतः वि भाणियव्वं निरवसेसं जाव अपि भणितव्यम् निरवशेषं यावत् पर्याप्तकपज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरो · बवाइय सर्वार्थसिद्ध-अनुत्तरौपपातिक यावत् देवजाव देवपंचिंदियकम्मा-सरीरगमीसा- पञ्चेन्द्रियकर्मकशरीरकमिश्रकपरिणतः वा, परिणए वा, अपज्जत्तासब्वट्ठसिद्ध- अपर्याप्तकसर्वार्थसिद्ध-अनुत्तरौपपातिक अणुत्तरो-वववाइय जाव कम्मा- यावत कर्मकशरीरमिश्रकपरिणतः वा। सरीरमीसा-परिणए वा॥ ६६. यदि मन मिश्रपरिणत है तो क्या सत्यमन मिश्र परिणत है? मृषा-मन मिश्रपरिणत है? जैसे प्रयोगपरिणत की वक्तव्यता है वैसे ही मिश्रपरिणत भी अविकल रूप से वक्तव्य है यावत् पर्याप्त सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरौपपातिक यावत् देव पंचेन्द्रिय कर्मशरीर मिश्रपरिणत है अथवा अपर्याप्त सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरौपपातिक यावत कर्मशरीर मिश्रपरिणत है। वीससापरिणति-पदं विस्रसापरिणति-पदम विस्रसा परिणति-पद ६७. जइ वीससापरिणए किं वण्ण- यदि विस्रसापरिणतः किं वर्णपरिणतः? ६७. यदि विरसा परिणत है तो क्या वर्ण परिणए? गंधपरिणए ? रस-परिणए? । गन्धपरिणतः? रसपरिणतः? परिणत है? गंधपरिणत है? रस परिणत फासपरिणए ? संठाण-परिणए? स्पर्शपरिणतः? संस्थानपरिणतः? है? स्पर्श परिणत है? संस्थान परिणत है? गोयमा! वण्णपरिणए वा, गंध-परिणए । गौतम! वर्णपरिणतः वा. गन्धपरिणतः वा, गौतम! वह वर्णपरिणत भी है, गंधपरिणत वा रसपरिणए वा, फास-परिणए वा, रसपरिणतः वा, स्पर्शपरिणतः वा, भी है, रसपरिणत भी है. स्पर्शपरिणत भी संठाणपरिणए वा॥ संस्थान-परिणतः वा। है, संस्थानपरिणत भी है। ६८. यदि वर्णपरिणत है तो क्या कालवर्ण परिणत है यावत शुक्लवर्ण परिणत है? ६८. जइ वण्णपरिणए किं काल- यदि वर्णपरिणतः किं कालवर्णपरिणतः वण्णपरिणए जाव सुक्किलवण्ण- यावत शुक्लवर्णपरिणतः? परिणए? गोयमा! कालवण्णपरिणए वा जाव गौतम कालवर्णपरिणतः वा यावत् शुक्लसुक्किलवण्णपरिणए वा॥ वर्णपरिणतः वा। गौतम? वह कालवर्णपरिणत भी है यावत् शुक्लवर्णपरिणत भी है। ६९. जइ गंधपरिणए किं सुब्भि- गंधपरिणए ? दुब्भिगंधपरिणए? गोयमा! सुब्भिगंधपरिणए वा, दुब्भिगंधपरिणए वा।। यदि गन्धपरिणतः किं सुरभिगन्ध- परिणतः? दुरभिन्धपरिणतः? गौतम! सुरभिगन्धपरिणतः वा. दुरभिगन्धपरिणतः वा। ६९. यदि गन्ध परिणत है तो क्या सुगन्धपरिणत है ? दुर्गन्धपरिणत है? गौतम ! वह सुगन्धपरिणत भी है अथवा दुर्गन्धपरिणत भी है? ७०, जइ रसपरिणए किं तित्तरस- परिणए? पुच्छा। गोयमा! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए वा॥ यदि रसपरिणतः किं तिक्तरसपरिणतः? पृच्छा । गौतम! तिक्तरसपरिणतः वा यावत् मधुररसपरिणतः वा। ७०. यदि रसपरिणत है तो क्या तिक्तरसपरिणत है ? पृच्छा। गौतम! वह तिक्तरसपरिणत भी है यावत मधुररसपरिणत भी है। ७१. जइ फासपरिणए किं कक्खड- यदि स्पर्शपरिणतः किं कक्खटस्पर्श- ७१. यदि स्पर्शपरिणत है तो क्या कठोरफासपरिणए जाव लुक्खफास-परिणए? परिणतः यावत रुक्षस्पर्शपरिणतः? स्पर्शपरिणत है यावत् रूक्षस्पर्शपरिणत गोयमा! कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासरपरिणए।। गौतम! कक्खटस्पर्शपरिणतः यावत् रुक्षस्पर्शपरिणतः। गौतम! कठोर स्पर्शपरिणत भी है यावत रूक्षस्पर्शपरिणत भी है। ७२. जइ संठाणपरिणए-पुच्छा। गोयमा! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आयतसंठाणपरिणए वा॥ यदि संस्थानपरिणतः-पृच्छा। गौतम ! परिमंडलसंस्थानपरिणतः वायावत आयतसंस्थानपरिणतः वा। ७२. यदि संस्थान परिणत है-पृच्छा। गौतम ! परिमण्डल संस्थान परिणत भी है अथवा यावत् आयत संस्थान परिणत भी है। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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