________________
श. ९ : उ. ३२ : सू. ९३
२५०
भगवई
रश वा पंधू त अधः
रश वा | पंधू त अधः
र शवा पंधूत अधः
१३
Naravar
२।
२
११०
इस प्रकार छह जीवों के विसांयोगिक भंग-रत्नप्रभा-१५०. शर्कराप्रभा-१००, वालुकाप्रभा-६०, पंकप्रभा-३०, धूमप्रभा
१०, कुल भंग-३५०
به اسم
LOW
ع نه
|१८
।
१७३
| loooor0
२०
|१
१२ २०
पंक-तमप्रभा के विकल्प १०,
भंग १० श वा| पंधू त अधः
वालुका-तमप्रभा के विकल्प १०,
भंग १० रश वा पंधू त अधः
छह जीवों के चतुष्कसायोगिक
विकल्प १० भंग ३५० पांच जीवों के चतुष्कसायोगिक भंग की भांति छह जीवों के चतुष्सांयोगिक भंग ज्ञातव्य है किन्तु इसमें एक नैरयिक जीव का अधिक संचार करना चाहिए।
छह जीवों पंचसायोगिक
विकल्प ५, भंग १०५ पांच जीवों के पंचसांयोगिक भंग की भांति छह जीवों के पंचसांयोगिक भंग ज्ञातव्य है किन्तु इसमें एक नैरयिक जीव का अधिक संचार करना चाहिए।
छह जीवों के षट् सांयोगिक
विकल्प-१, भंग ७ र स वा पंधू | न अधः
११
८
। ।
३१।
Javarli
१
|
२
७१ १ ११११
धूम-तमप्रभा के विकल्प १०,
भंग १० र श वा पंधू त अधः
पंक-धूमप्रभा के विकल्प १०,
भंग २० |रश बा | पं धू त अधः
इस प्रकार छह नैरयिक जीवों के एक सांयोगिक भंग ७, द्वि-सायोगिक भंग १०५. त्रि-सांयोगिक भंग ३५०, चतुष्क-सांयोगिक भंग ३५०, पंच-सायोगिक भंग १०५, षट्सायोगिक भंग ७, सर्व भंग-९२४
१२३ १ २
३
२.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org