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मूल
पडिणीय पदं
२९५. रायगिहे जाव एवं वयासी-गुरूणं भंते! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - आयरियपडिणीए, पडणी, थेरपडिणी ॥
उवज्झाय
२९६. गति णं भंते! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - इहलोगपडिणीए, परलोगपडिणीए, दुहओलोगपडिणीए ।
२९७. समूहणणं भंते! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - कुलपडिणी, गणपsि-णी, संघपडिणीए ॥
२९८. अणुकंपं पडुच्च कति पडि - णीया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - तवस्सिपडिणीए, गिलाणपडिणीए, सेहपडिणीए ॥
३०० भावण्णं भंते! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ?
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अट्टमो उद्देसो : आठवां उद्देशक
संस्कृत छाया
प्रत्यनीक-पदम्
राजगृहे यावत् एवमवादिषुः- गुरून् भदन्त ! प्रतीत्य कति प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः ?
गौतम ! त्रयः प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः, तद् यथाआचार्य प्रत्यनीकः, उपाध्यायप्रत्यनीकः, स्थविरप्रत्यनीकः ।
गतिं भदन्त ! प्रतीत्य कति प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः ?
गौतम ! त्रयः प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः, तद् यथाइहलोक प्रत्यनीकः, परलोकप्रत्यनीकः, द्वयलोकप्रत्यनीकः ।
समूहं भदन्त ! प्रतीत्य कति प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः ?
गौतम! त्रयः प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः, तद् यथाकुलप्रत्यनीकः, गणप्रत्यनीकः, संघप्रत्यनीकः ।
अनुकम्पां प्रतीत्य कति प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः ?
२९९. सुयण्णं भंते! पडुच्च कति श्रुतं भदन्त ! प्रतीत्य कति प्रत्यनीकाः पडिणीया पण्णत्ता ? प्रज्ञप्ताः ? गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - सुत्तपडिणीए, अत्थपडि णीए, तदुभयपडिणीए ॥
गौतम! त्रयः प्रत्यनीकाः प्रज्ञप्ताः, तद् यथासूत्रप्रत्यनीकः, अर्थप्रत्यनीकः, तदुभय प्रत्यनीकः ।
गौतम ! त्रय प्रत्यनीकाः, प्रज्ञप्ताः, तद् यथातपस्वी प्रत्यनीकः, ग्लानप्रत्यनीकः, शैक्षप्रत्यनीकः ।
भावं भदन्त ! प्रतीत्य कति प्रत्यनीकाः प्रज्ञसाः ?
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हिन्दी अनुवाद
प्रत्यनीक - पद
२९५. 'राजगृह में समवसरण यावत् गौतम स्वामी ने इस प्रकार कहा-भंते! गुरु की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! गुरु की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे- आचार्य का प्रत्यनीक, उपाध्याय का प्रत्यनीक, स्थविर का प्रत्यनीक ।
२९६. भंते! गति की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ?
सौतम! गति की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे- इहलोक प्रत्यनीक, परलोक प्रत्यनीक, उभयलोक प्रत्यनीक |
२९७. भंते! समूह की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ?
गौतम! समूह की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे- कुल प्रत्यनीक, गण प्रत्यनीक, संघ प्रत्यनीक ।
२९८. भंते! अनुकंपा की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ?
गौतम ! अनुकंपा की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे - तपस्वी प्रत्यनीक, ग्लान प्रत्यनीक, शैक्ष प्रत्यनीक ।
२९९. भंते! श्रुत की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ?
गौतम ! श्रुत की अपेक्षा तीन प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सूत्र प्रत्यनीक, अर्थ प्रत्यनीक, तदुभय प्रत्यनीक |
३००, भंते! भाव की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक प्रज्ञप्त हैं ?
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