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भगवई
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आधारभूत ग्रन्थ-सूची
ग्रन्थ का नाम
संस्करण
प्रकाशक
भाष्य में प्रयुक्त स्थल
लेखक/सम्पादक / अनुवादक वाचनाप्रमुख /प्रवाचक आदि
११५. संगीत विशारद
ले. वसन्त
सन् १६६१
संगीत कार्यालय, हाथरस (उ० प्र०) ५/६४
सन् १९८४
११६. समवाओ (मूलपाठ,
संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण आदि)
वा. प्र. आचार्य तुलसी सं. विवेचक युवाचार्य महाप्रज्ञ
जैन विश्व भारती, लाडनूं राजस्थान
४ आमुख; ५/६३, १२२, १६१-१८
११७. सम्मति प्रकरण
कर्ता- सिद्धसेन दिवाकर सं. दलसुखभाई मालवणिया
ज्ञानोदय ट्रस्ट, अनेकान्त बिहार, ३ आमुख; ५/१६१-१६८ श्रेयान्स कालोनी के पास, अहमदाबाद
११८. सर्वदर्शनसंग्रह
सन् १६२४
ले. सायन माधवाचार्य, टीका. महामोहोपाध्याय प्राच्य विद्याशास्त्री अभयंकर
संशोधन मंदिर, पूना (महाराष्ट्र)
७ आमुख
११६. सर्वार्थसिद्धि
भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली
३/८४७/१०-१५, २६-३५
कर्ता-आ. पूज्यपाद; सं. पं. फूलचन्द्र १६७१ सिद्धान्त शास्त्री
१२०. सांख्यकारिका
चौखम्बा संस्कृत सिरीज, वाराणसी ७/१६-१६
कर्ता-ईश्वरकृष्ण, टीका. माध्वाचार्य
१२१, साप्ताहिक हिन्दुस्तान
६ सितम्बर १६७६ दिल्ली
६ आमुख
१२२. सुवर्णभूमि में कालकाचार्य
४ आमुख
१२३. सुश्रुत-संहिता
अनु. अत्रिदेव
सन् १६७५
मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली
५/७६, ७७
१२४. सुत्रकृताङ्ग नियुक्ति
कर्ता-भद्रबाहु
देखें सूत्रकृताङ्ग वृत्ति
७/२६-३५
१२५. सूत्रकृताङ्ग वृत्ति
कर्ता-श्री शीलांकाचार्य
प्रथम-सन् १६५० श्रीगोडी जी पार्श्वनाथ- जैन द्वितीय-सन् १६५३ देरासर पेढी, बम्बई
३/१६४-१७१; ७/२६-३५
१२६. सूयगडो (मूलपाठ,
संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण तथा परिशिष्ट)
वा. प्र. आचार्य तुलसी सं. विवेचक युवाचार्य महाप्रज्ञ
भाग १ सन् १९८४ जैन विश्व भारती, लाडनूं, भाग २ सन् १९८६ राजस्थान
५/२५४-२५७; ७/१०-१५,२५
सन् १६८९
७/६२
१२७. सूरपण्णत्ती
(उवंगसुत्ताणि, भाग ४, खण्ड २)
वा. प्र. आचार्य तुलसी सं. युवाचार्य महाप्रज्ञ
जैन विश्व भारती, लाडनूं, राजस्थान
१२८. स्थानाङ्ग वृत्ति
कर्ता-अभयदेवसूरि
सन् १६३७
सेठ माणेकलाल चुन्नीलाल, अहमदाबाद
३/४६, २५३; ६/१६८, १६६; ७/१०-१५
१२६. स्याद्वादमंजरी
सन् १९६२
श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास
५आमुख
कर्ता-मल्लिषेण अनु. सं. डॉ० जगदीशचन्द्र जैन सं.स्वात्माराम योगीन्द्र
गुजरात
१३०. हठयोगप्रदीपिका
३/२०५
सन् १९८८ खेमराज श्रीकृष्ण दास अध्यक्ष,
श्री वेन्कटेश्वर प्रेस, बम्बई वि. सं. २००७ छगनीराम अमरचन्द्र शिरोलिया,
१३१. हेमशब्दानुशासनम्
कर्ता-आचार्य हेमचन्द्र
३/१४३-१४६
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