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भगवई
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भाष्य-विषयानुक्रम
व्यपगत ७/२५ व्यसनभूत ३/२५३ व्याकरण ५/८३-८८ व्रीहि (वीहीणं) ६/१२६-१३१
शक्र और ईशान के पारस्परिक संबंध ३/५६-६१ शक्र की ऊर्ध्व, अधो, तिरछी गति ३/११६-१२६ शब्द सुनने की प्रक्रिया ५/६४ शय्यातर पिण्ड ५/१३-१४६ शर ५/१३४,१३५ शरीर का मल (जल्लिय) ६/२०-२३ शस्त्र ७/२५
- परिणामित ७/२५ शस्त्रातीत ७/२५ शस्त्रातीतादि पान-भोजन ७/२५ शान्तिगृह ३/२६८ शाली (सालीणं) ६/१२६-१३१ शाश्वत-अशाश्वत-द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक नय की अपेक्षा से ७/६३-६५ शाश्वत-अशाश्वत-अव्युच्छित्ति-व्युच्छित्ति नय की अपेक्षा से ७/५८-६० शिखरी ५/१८२-१९० शिथिलरूप में किए हुए ६/१-४ शिला-प्रवाल ३/३३ शिव ३/३४ शिविका ३/१६४-१७१ शुद्धोदन ३/३३ शुम्ब ३/४५ शेष सब ७/१६० शैल ५/१८२-१६०
- गृह ३/२६८ शैलेशी ६/१५,१६ शोकापन ३/१४३-१४८ शोष ३/२५८ श्मसानगृह ३/२६८ श्रमणोपासक के अनावृत्ति हिंसा ७/६,७ श्रमणोपासक के ऐर्यापथिक व साम्परायिकी क्रिया ७/४,५
संयत ७/५४-५७ _ -असंयत-संयतासंयत ७/५४-५७ संयतासंयत ७/५४-५७ संयमयात्रामात्रवृत्तिक ७/२५ संयमी दान ७/८,६ संरम्भ ३/१४३-१४८ संवर्त (सवट्ट)७/१८८ संवर्तकवात ३/२५३ संवृत ७/१२५,१२६ संसार मंडल ५/१२२ संसृष्ट किए हुए ६/१-४ स-अंगारादि दोष से दूषित पान-भोजन ७/२२,२३ सण ६/१२६-१३१ सदा, प्रतिक्षण (सया समियं) ६/२०-२३ सद्भूत (भूत) ५/२५४-२५७ सन्त ३/३३ सनिचय ३/२६८ सन्निधि ३/२६८ सपक्खि सपडिदिसिं (ठीक ऊपर आकाश में स्थित होकर) ३/३८ सभा ५/१८२-१६० समजोइन्भुया (अग्नि-तुल्य बन गई) ३/४८ समतुरंगेमाणा (समाश्लेष करता हुआ) ३/४६ समय की रुक्षता ७/११७ समय क्षेत्र और समयातीत क्षेत्र ५/२४८-२५३ समारंभ ३/१४३-१४८,७/६,७ समुदय-समिति-समागम ६/१३२,१३३,१३४ सर ५/१८२-१६० सरण ५/१८२-१६० सरपंक्ति ५/१८२-१६० सरसरपंक्ति ५/१८२-१६० सरिसव (सर्षप) ६/१२६-१३१ सर्व-देश-मूल-उत्तर गुण प्रत्याख्यानी-अप्रत्याख्यानी ७/४३-५३ सात-असात वेदनीय कर्मबंध के कारण ७/११३-११६ सात प्रकार की प्रकृतियों का अथवा आठ प्रकार की प्रकृतियों का बंधन करता है ५/६८-७१ सामानिक ३/४ सामुदानिक ७/२५ सार ३/३३ सारिणी ५/१८२-१६० सालंबहत्थाभरणे (उसके हाथ के आभरण नीचे लटक गए) ३/११४ सिंह, व्याघ्र आदि चतुष्पद ७/१२२ सिद्ध ६/१३३-१३४ सीहुण्ड (दुधिया थोहर)७/६६ सुख,दुःख की परिभाषा ७/१६०
संगिण्हह (स्वीकार करो) ५/७६.८२ संघट्टेति (संचालित करता है) ५/१३४,१३५ संघाएइ (एक दूसरे के अवयवों को संहत करता है) ५/१३४,१३५ संज्ञा ७/१६१ संदमाणिया (शिविका) ३/१६४-१७१ संनिचित ६/१३३,१३४ संपत्ती (संप्राप्ति) ३/४ संमृष्ट ६/१३३,१३४
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