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भाष्य-विषयानुक्रम
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भगवई
योनि-विच्छेद ६/१२६-१३१
रक्तरत्न ३/३३ रचित ५/१३६-१४६ रज उद्घात ३/२५३ रजकणों से सना हुआ (रइल्लिय) ६/२०-२३ रत्न ३/३३
___ -प्रभा पृथ्वी ३/८१ रनि ७/११ रहपह (रथपथ) ७/१२० राजपिंड ५/१३६-१४६ रालग (कंगु धान्य का एक प्रकार) ६/१२६-१३१ रिट्ट (रिष्ट) ३/४ रुद्र ३/३४ रूप ३/२२२-२३० रेरिज्जमाण (दीप्यमान) ७/६३
लता ७/११७ लब्ध ५/११२-११३ लयन ५/१८२-१६० लवणादि समुद्र ६/१५५-१६० लांछित ६/१२६-१३१ लिप्त ६/१२६-१३१ लेश्या और पुनर्जन्म ३/१८३-१८५ लेश्या का परिवर्तन ४/५ लेश्या के दो प्रकार-द्रव्य व भाव ७/६७-७३ लेसेति (चोट पहुंचाता है) ५/१३४,१३५ लोक का संस्थान ७/३ लोकपाल ३/४,२४७ लोह कवच को धारण किया ७/१७६ लोह कडाह ५/१८२-१६० लोहियक्ख (लोहिताक्ष) ३/४ लौही ५/१८२-१६० वग्धारिय (प्रलम्बित) ३/१०५ वज्रतुल्य ७/१७७ वत्तेति (वर्तुल बनाता है) ५/१३४,१३५ वन ५/१८२-१६०
- राजि ५/१८२-१६० वनषण्ड ५/१८२-१६० वनस्पतिकायिक जीवों का आहार और ऋतुएं ७/६२ वनस्पतिकायिक जीवों का ग्रीष्म ऋतु में फलना-फूलना ७/६३ वप्पिण (क्यारी-युक्त खेत) ५/१८२-१६० वयर (वज्र) ३/४
वरग (चीना धान्य) ६/१२६-१३१ वरवज्रविग्रहिक ५/२५४-२५७ वर्णवर्षा ३/२६८ वर्तमान व भावी जीवन की वेदना ७/१०३-१०५ वल्ली (बेल) ७/११७ वसुधारा ३/२६८ वाणी का विवेक ५/६६-६२ वातमंडलिका ३/२५३ वातुल ७/११७ वातोत्कलिका ३/२५३ वातोद्धाम ३/२५३ वायुकायिक जीवों का आन, अपान, उच्छ्वास-नि:श्वास, कायस्थिति, सशरीर-अशरीर निष्क्रमण ५/४६-५० वायु के प्रकार, गति-क्षेत्र और गति ५/३१-४५ विकुव्वेमाणा ३/६० विकुस ६/१३५ विग्घ ३/२०९-२२० विज्झडिय ७/११६ विउभाएमाणे ३/११२ वितिकिण्ण ३/४ विडंवइ ३/११२ विन्ध्यगिरि (विंझगिरि) ३/१०० विपरिणमन को प्राप्त किए हुए ६/१-४ विपुल ५/१३८ विभंगज्ञान का विपर्यय ५/१३६-१३७ विमलवर चिह्नपट्ट बांधे, आयुध और प्रहरण लिए ७/१७६ विमात्र ६/५-१४ विरावहिंति-विराय (विरात) ७/११७ विसय (विषय) ३/४ विसुद्ध ६/१३५ विस्रसा (वीससा) (स्वाभाविक) ३/१०६६/२४-२६ वीणा (पिरिपिरिया) ५/६४ वृक्ष (रुक्ख) ७/११७
- के दस अंग व परस्पर स्पृष्ट व आहार ७/६४,६५ वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणइ (वैक्रिय समुद्घात से समवहत होता है)३/४ वेदक आदि जीवों का अल्पबहुत्व ६/५२ वेदना और निर्जरा ७/७४-६२ वेरुलिय (वैडुर्थ) ३/४ वेहास (विहायस, आकाश) ५/१३४,१३५ वैक्रिय शक्ति और उसके नियमों का वर्णन ६/१६३-१६७; ७/१६७-१७२ वैक्रिय शरीर ३/१६४-१७१ वैशिक ७/२५ वैश्रवण ३/३४ व्येजन ३/१४३-१४८
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