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________________ विषयानुक्रम सूत्र १५१-१५४ आयुष्बन्ध पद १५५-१६१ लवणादि समुद्र- पद नवां उद्देशक सूत्र आमुख प्रथम उद्देशक १६२ कर्म-प्रकृति-बन्ध पद १६३-१६७ महर्द्धिकदेव विक्रिया-पद १६८-१७० अविशुद्धलेश्या आदि देव का ज्ञान- ३०१-३१२ ३०७ ३०७-३०९ दर्शन-पद १ २ ३ ४, ५ ६, ७ ८, ९ १०.१५ १६-१९ २०,२१ २२-२६ संग्रहणी गाथा अनाहारक पद सर्व अल्पआहार-पद दूसरा उद्देशक २७,२८ २९-३५ ३६-५७ ६७-७३ ७४-९२ ९३-९६ सुप्रत्याख्यान दुष्यत्याख्यान- पद प्रत्याख्यान- पद प्रत्याख्यानी अप्रत्याख्यानी पद शाश्वत अशाश्वत पद ५८-६१ तीसरा उद्देशक ६२-६५ ६६ पृष्ठ वनस्पति- आहार पद अनन्तकाय-पद अल्पकर्म महाकर्म- पद वेदना निर्जरा पद शाश्वत अशाश्वत पद ३०२-३०४ ३०५-३०६ लोक-संस्थान पद श्रमणोपासक की क्रिया का पद श्रमणोपासक के अनावृत्ति हिंसा का पद श्रमण- प्रतिलाभ से लाभ-पद अकर्म की गति का पद दुःखी के दुःखस्पर्श आदि का पद ऐर्यापथिक-साम्परायिक क्रिया-पद ३३२-३३३ स- अंगार आदि दोष से दूषित पान ३३३३३८ -भोजन-पद Jain Education International ३२१-३२२ ३२३ ३२३-३२६ ३२६ ३२६ ३२८ ३२८ सातवां शतक पृष्ठ सूत्र चौथा उद्देशक ९७,९८ पांचवा उद्देशक ३२८-३२९ ३२९-३३१ ३३१-३३२ ३३९-३४१ ३४१-३४४ ३४४-३४८ ३४८-३४९ ३५०-३५२ ३५२-३५३ १८ ३५३-३५५ ३५५-३५७ ३५७-३५८ सूत्र दशवां उद्देशक १७१-१७३ सुख-दुःख- उपदर्शन-पद १७४- १८२ जीव चेतना पद वेदना-पद १८३-१८५ नैरविक आदि जीवों का आहार पद केवली का ज्ञान-पद १८६ १८७ - १८९ संसारस्थ जीव- पद १९,१०० छठा उद्देशकः योनिसंग्रह पद १०१-१०६ आयुष्क-प्रकरण-वेदना-पद १०७-११२ कर्कश अकर्कश वेदनीय पद ११३ ११६ सातासात वेदनीय पद ११७-१२४ दुःषम - दुःषमा- पद सातवां उद्देशक १५०-१५२ अकामनिकरण वेदना-पद १५३-१५५ प्रकामनिकरण वेदना पद आठवां उद्देशक १६० १६१ १६२ १६३, १६४ For Private & Personal Use Only पृष्ठ ३१३-३१४ ३१४-३१६ ३१६-३१७ ३१७ ३१७-३१८ ३५९ ३६० भगवई १२५-१२६ संवृत का क्रिया-पद ३७१ ३७२-३७४ १२७-१४५ काम भोग-पद १४६ १४९ दुर्बलशरीर वाले का भोग परित्याग- ३७४-३७६ - पद १५६,१५७ मोक्ष-पद १५८,१५९ हस्ति और कुन्यु के जीव की समानता का पद सुख-दुःख- पद दशविधसंज्ञा-पद ३८३ नैरयिकों की दशविधवेदना का पद हस्ति और कुन्यु की अप्रत्याख्यान- ३८३ क्रिया का पद १६५, १६६ आधाकर्म आदि-पद ३६१-३६३ ३६३-३६४ ३६४-३६६ ३६६-३७० पृष्ठ ३७६ ३७७-३७८ ३७९ ३७९-३८१ ३८३ ३८१-३८२ ३८२-३८३ www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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