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________________ श. ५: उ. १: सू. ४-७ जंबुद्दीवे दिवसराई - वत्तव्वया-पदं ४. जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पन्चयस्स दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तथा णं उत्तरेड्डे वि दिवसे भव; जया णं उत्तरेइडे दिवसे भवइ तथा नं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम- पच्चत्थिमे णं राई भवइ ? हंता गोया ! जाणं जंबुद्दीवे दीवे दाहिण - इढे दिवसे जाव पुरत्थिम-पच्चत्विमे णं राई भवइ ॥ ५. जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे णवि दिवसे भवइ; जया णं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पन्चयस्स उत्तर दाहिने गं राई भवइ? हंता गोयमा ! जया णं जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे जाव उत्तर दाहिणे णं राई भवइ || ६. जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि उक्कोस अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ; जया उत्तरड्ढे उक्कोस अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्ववस्त्र पुरत्थिम-पच्चत्विमे णं जह ण्णिवा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोया ! जाणं जंबुद्दीवे दीवे दाहिड्ढे उक्कोस अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे जाव दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ॥ ७. जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे उक्कोसए अहारसमुहुत्ते दिवसे भवद, तया णं पच्चत्विमे वि उन कोसे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ; जया णं पच्चत्विमे णं उक्कोसए अङ्गारसमुहने दिवसे भवइ, तथा णं जंबुदीवे दीवे उत्तरदाहिने णं जहणिया दुबालसमुहुत्ता राई भवइ ? Jain Education International १२८ जम्बूद्वीपे दिवसरात्र - वक्तव्यता-पदम् यदा भदन्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य दक्षिणार्धे दिवसो भवति, तदा उत्तरार्धेऽपि दिवसो भवति ? यदा उत्तरार्थे दिवसो भवति तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्य - पश्चिमे रात्रिः भवति ? हन्त गौतम ! यदा जम्बूद्वीपे द्वीपे दक्षिणार्धे दिवसः यावत् पौरस्त्य पश्चिमे रात्रिः भवति। यदा भदन्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्ये दिवसो भवति, तदा पश्चिमे अप दिवसो भवति ? यदा पश्चिमे दिवसो भवति, तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मंदरस्य पर्वतस्य उत्तरदक्षिणे रात्रिः भवति? हन्त गौतम ! यदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्ये दिवस यावद् उत्तर-दक्षिणे रात्रिः भवति यदा भदन्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे मंदरस्य पर्वतस्य दक्षिणार्धे उत्कर्षतः अष्टादशमुहूर्त: दिवस: भवति, तदा उत्तरार्धेऽपि उत्कर्षतः अष्टादशमुहूर्त: दिवसः भवति, यदा उत्तरार्धे उत्कर्षतः अष्टादशमुहूर्त्तः दिवसः भवति, तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्य - पश्चिमे जघन्यिका द्वादशमुहूर्त्ता रात्रिः भवति ? हन्त गौतम ! यदा जम्बूद्वीपे द्वीपे दक्षिणार्द्ध उत्कर्षतः अष्टादशमुहूर्त्तः दिवस: यावद् द्वादशमुहूर्ता रात्रिः भवति। यदा भदन्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्ये उत्कर्षतः अष्टादशमुहूर्त दिवसः भवति, तदा पश्चिमे अपि उत्कर्षेण अष्टादशमुहूर्त: दिवसः भवति ? यदा पश्चिमे उत्कर्षतः अष्टादशमुहूर्त दिवसः भवति, तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे उत्तर-दक्षिणे जयन्यिका द्वा दशमुहूर्त्ता रात्रिः भवति ? For Private & Personal Use Only भगवइ जम्बूद्वीप में दिवस - रात्रि की वक्तव्यता का पद ४. भंते! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिणार्ध में दिन होता है, उस समय उत्तरार्ध में भी दिन होता है ? जिस समय उत्तरार्ध में दिन होता है उस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व-पश्चिम भाग में रात्रि होती है ? हां, गौतम ! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिणार्ध में दिन होता है यावत् उस समय पूर्व और पश्चिम भाग में रात्रि होती है। ५. भंते! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व भाग में दिन होता है, उस समय पश्चिम भाग में भी दिन होता है? जिस समय पश्चिम भाग में दिन होता है, उस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण भाग में रात्रि होती है? हां, गौतम ! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व में दिन होता है यावत् उस समय उत्तर और दक्षिण भाग में रात्रि होती है। ६. भंते! जिस समय जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिणार्द्ध अठारह मुहूर्त्त का उत्कृष्ट दिन होता है, उस समय उत्तरार्द्ध में भी अठारह मुहूर्त्त का उत्कृष्ट दिन होता है? जिस समय उत्तरार्द्ध में अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिन होता है, उस समय जम्बुद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व और पश्चिम भाग में बारह मुहूर्त्त की जघन्य रात्रि होती है? हां, गौतम! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरुपर्वत के दक्षिणार्द्ध में अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिन होता है यावत् उस समय पूर्व और पश्चिमी भाग में बारह मुहूर्त्त की जघन्य रात्रि होती है। ७. भंते! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरुपर्वत के पूर्व भाग में अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिन होता है, उस समय पश्चिम भाग में भी अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिन होता है? जिस समय पश्चिम भाग में भी अठारह मुहूर्त का उत्कृष्ट दिन होता है, उस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरुपर्वत के उत्तर और दक्षिण भाग में बारह मुहूर्त की जघन्य रात्रि होती है ? www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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