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________________ पारिभाषिक शब्दानुक्रम ३२६ भगवई विषय १. विसंयोजित २२७ विसंवाद ६२ विसंवादन ६२ वित्रता ७८ वीतराग ३६,५६,६०,६१ संयत ३६,५५ वीरासन २३-२४०,२४२ वीर्य ८०-८५,८६,१६६,२४५,२६१-२६३,२६३ -परिणाम १७५ -बाह्य १६६ -भाव ६४ -लब्धि ६३,१५५,१५६ वृत्ति २३४ वृद्धमत ११६ वेद २०४,२०५,२५६ वेदना २३,२६,२६,३०,३१,४८,१२,५३,५५. ६१,७५,८४,८५,८७,९६,२५२ -सूत्र ६०,६१ -वशात २२६ -वाद ५७ वेदनीय २७,६४ कर्म २०४ कर्म-प्रदेश २५२ वेदित २५,२६,७३ वैक्रिय (शरीर) २८,३८,१३,२१२,११३,१२०,१५१,१७२,१७५,२०३ लब्धि १५५,१५७ वर्गणा ६३ समुद्धात १५५,१५७,२५२ वैज्ञानिक २०१,२५५,२६७,२८० सिद्धान्त १३६ वैदिक ऋषि १३३ संहिताओं २०८ साहित्य २०८ वैनयिक २३३,२३४ वैमानिक देव ३५,४४,५६,५८,६१,७२,७३,१२१,१४४,१४६,१६८, १७३,२८१ देवों की राजधानी २६५ वैरानुबंधी १६६ वैशालिक श्रावक २१० वैशेषिक दर्शन ७७,१६१,२६५ वैखसिक ७८ वैहानश २२६,२२६ वैहायस २२७,२२८ व्यजनाक्षर व्यञ्जनावग्रह व्यदृभोजी-देखें व्यावृत्तभोजी व्यतिव्रजन १७१ व्यय २१-२३,१००,१०१,१६७ व्यवच्छित्र ११ व्यवदान २७२,२७३,२७६,२७८ व्यवहार ६२,१८२ और निश्चय १८३ नय २३,६८,१८२,१८७ व्याकरण २०७,२०६,२१७ व्याकृत १८१ व्यावहारिक काल १६७ व्यावृत्तभोजी २२० व्युत्सर्ग १८०-१९२,२३०,२७२ व्यूह २१३ व्रत ४४,२६७ व्रती ३३,१६१ शंका ७५,१७६,८६,६२,६३ -रहित २६४ शंकित ७५,२११,२१२ शब्द ५६,६२ -नय ११ शम २३६ शरीर १७,३८,४६,५६,५७,६०,६१-६३,९०,८२,१०६,११२,११३, ११८,१२०,१३२,१४०,१४५,१५४,१६६,१७२,१७४,२०३,२२४,२५२ और मनस १३६ नाम कर्म ६३,१६६ -पर्याप्ति १५३,१५६ -निर्माण ६२,१५१ -योग-वर्गणा ६३ -व्युत्सर्ग की विधि २५० -शास्त्र २६७ -संघात ११३ शरीरी ४० शर्कराप्रभा १०५,२५५ शल्य-मरण २२६ शस्त्र १६७ शस्त्रावपाटन (मरण) २२६,२२८ शाक्य ६८,६६,१००,१०१,१३०,१३२,२२३,२२४,२८७-२८६ शाश्वत काल १०३ शिक्षा २०७,२०६ शिथिल बन्धन ३६-४१ शिव २२१,२४३ शीतल तेजोलेश्या २५३ शीर्षासन १६ शील २६७ -व्रत ६६,२६४ शुक्र १०६ शुक्ल पक्ष १७१ लेश्या ३४,३५,६०-६२,१२१,१७४ वर्ण २०० शुद्ध प्रवेश्य २७२ शुभ २०५ -अशुभ २०६ -योग ३२-३४ शून्यकाल ६४,६६ शून्यवाद १३५ शृंगाटक २१२,२१३,२६६ शृंगार २२१ शेवात (संहनन) ११३,११८ शैलेशी १६६ -प्रतिपन्न १६७,१६८ शैव दर्शन ६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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