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________________ पण्ण.-पण्णवणा पण्हा.-पण्हावागरणाई पा. यो. द.-पातज्जलयोगदर्शनम् प्र. न. त.-प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार प्र. सा.-प्रवचन सार प्र. सारो. वृ.-प्रवचन सारोद्धार वृत्ति प्रज्ञा. वृ.-प्रज्ञापना वृत्ति बृ. क. भा.-बृहत्कल्प भाष्य भ. चू.-भगवती चूर्णि भ. जो.-भगवतीजोड़ भ.-भगवई विआहपण्णत्ती भ. वृ.-भगवती वृत्ति मनु.-मनुस्मृति राज. वृ.-राजप्रश्नीय वृत्ति राय.-रायपसेणइयं वि. भा.-विशेषावश्यक भाष्य वि. भा. वृ.-विशेषावश्यक भाष्य वृत्ति विजयोदया वृ.-विजयोदया वृत्ति व्य. भा. वृ.-व्यवहार भाष्य वृत्ति व्य. भा. -व्यवहार भाष्य श्वे. उ.-श्वेताश्वतर उपनिषद् ष. खं.-षट्खण्डागम सम.-समवाओ सम. प.-समवाओ, पइण्णग समवाओ सम. वृ.-समवायांग वृत्ति सम्मति-सम्मति प्रकरणम् सूत्र. चू.-सूत्रकृतांग चूर्णि सूत्र. नि.-सूत्रकृतांग नियुक्ति सूत्र. वृ.-सूत्रकृतांग वृत्ति सूय.-सूयगडो सूर.-सूरपण्णत्ती स्था. वृ.-स्थानाङ्ग वृत्ति हा. वृ.-हारिभद्रीय वृत्ति अ.-अध्ययन उ.-उद्देशक खं.-खण्ड गा.-गाथा (पद्य) भा.-भाग प.-पत्र पृ.-पृष्ठ पु.-पुस्तक सू.-सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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