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________________ सूबगडो १ ५१८ अध्ययन १२ : टिप्पण ६१-६५ ६१. दुःख (को) दुक्खं) चूर्णिकार ने कर्मबंध और कर्म के उदय को दुःख माना है। कर्म-बन्ध के चार प्रकार हैं-प्रकृति, स्थिति, अनुभाव और प्रदेश । ६२. वही क्रियावाद का प्रतिपादन कर सकता है (सो भासिउ ...."किरियवादं) चूर्णिकार ने प्रस्तुत आगम के धर्म, समाधि, मार्ग और समवसरण (९,१०,११,१२ वां अध्ययन) के प्रतिपादन को क्रियावाद का प्रतिपादन माना है।' श्लोक २२: ६३. जीवन और मरण की आकांक्षा नहीं करता (णो जोषियं णो मरणाभिकंखे) जीवन और मरण की आकांक्षा नहीं करता-इसका यह भी तात्पर्य है कि वह नहीं सोचता कि मैं लंबे काल तक रहं या शीघ्र ही मर जाऊं।' मरणाभिकंखे-इसमें दो पदों में संधी की गई है-मरणं+अभिकंखे । ६४. इन्द्रियों का संवर करता है (आयाणगुत्ते) वृत्तिकार ने इसके दो अर्थ किए हैं-संयम से गुप्त, कर्म से गुप्त ।' हमने आदान का अर्थ इन्द्रिय किया है । जो इन्द्रिय-गुप्त होता है वह आदानगुप्त कहलाता है। ६५. वलय (संसारचक्र) से (वलया) वलय का अर्थ है-वक्रता, कुटिलता। उसके दो प्रकार हैं-१. द्रव्य वलय-नदी का वलय, शंख का वलय । २. भाव वलय-कर्म ।' तात्पर्य में इसका अर्थ है-संसार-चक्र । वृत्तिकार ने माया को भाव वलय माना है।' १. चूणि, पृ० २१७ : दुक्खमिति कर्मबन्धः प्रकृति-स्थित्यनुभाव-प्रदेशात्मकः तदुदयश्च । २. चूणि, पृ० २१७ : सो धम्म समाधि मग्गं समोसरणाणि य भाषितुमर्हति । ३. चूणि, पृ० २१७ : असंजमजीवितं अणेगविधं पत्थए विपत्थए, ण वा परीसहपराइया मरणं विपत्थए । अथवा माह चितेज्जासी जीवामि चिरं, मरामि व लहुँ। ४. वृत्ति, पत्र २३५ : तथा मोक्षाथिनाऽऽदीयते-गृह्यत इत्यावानं-संयमस्तेन तस्मिन्वा सति गुप्तो, यदि वा-मिथ्यावादिनाऽऽवीयते इत्यादानम्-अष्टप्रकारं कर्म तस्मिन्नादातव्ये मनोवाक्कायैर्गुप्तः समितश्च । ५.णि पृ० २१७ : वलयं कुडिलमित्यर्थः। तत्र द्रव्यवलयं नदीवलयं वा संखवलयं वा भाववलयं तु कर्म । ६. वृत्ति, पत्र २३५ : भाववलयं-माया। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003592
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Suyagado Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages700
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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