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सूयगडो १
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प्र० १२: समवसरण : श्लोक १८-२२
१८. डहरे य पाणे वुड्ढे य पाणे
ते आततो पासइ सव्वलोगे। उहती लोगमिणं महंतं बुद्धप्पमत्तेसु परिव्वएज्जा॥
दहरांश्च प्राणान् वृद्धाश्च प्राणान्, तान् आत्मतः पश्यति सर्वलोके । उपेक्षते लोकमिमं महान्तं, बुद्धोऽप्रमत्तेषु परिव्रजेत् ॥
१८. लोक में विद्यमान छोटे"-बड़े सभी
प्राणियों को जो आत्मा के समान देखता है, जो इस महान् लोक की" उपेक्षा करता है-- सबके प्रति मध्यस्थ भाव रखता है, वह बुद्ध अप्रमत्त पुरुषों में परिव्रजन करे ।
१९.जे आततो परतो वा वि णच्चा
अलमप्पणो होति अलं परेसिं । तं जोइभूयं सततावसेज्जा जे पाउकुज्जा अणुवीइ धम्म ।
यः आत्मतः परतो वापि ज्ञात्वा, अलमात्मनो भवति अलं परेषाम् । तं ज्योतिर्भूतं सततं आवसेत्, यः प्रादुष्कुर्यात् अनुवीचि धर्मम् ।।
१६. जो (जीव आदि पदार्थों को) स्वत: या
परत: जानकार, जो अपने या दूसरों के (आत्महित) में समर्थ होता है, जो प्रत्यक्ष जानकर धर्म का आविष्कार करता है, उस ज्योतिर्भूत पुरुष के पास
सतत रहना चाहिए। २०. जो आत्मा" और लोक को जानता
है", जो आगति" और अनागति (मोक्ष) को जानता है, जो शाश्वत और अशाश्वत को जानता है, जो जन्म-मरण तथा च्यवन और उपपात को जानता है
२०. अत्ताण जो जाणइ जोय लोगं
जो आगतिं जाणइ ऽणागति च । जो सासयं जाण असासयं च जाति मरणं च चयणोववातं ॥
आत्मानं यो जानाति यश्च लोक, यः आगति जानाति अनागर्ति च । यः शाश्वतं जानाति अशाश्वतं च, जाति मरणं च च्यवनोपपातम् ॥
२१. अहो वि सत्ताण विउट्टणं च
जो आसवं जाणति संवरं च । दुक्खं च जो जाणइ णिज्जरंच सो भासिउमरिहति किरियवाद।
अधोऽपि सत्त्वानां विवर्तनं च, यः आस्रवं जानाति संवरं च । दुःखं च यो जानाति निर्जरांच, सः भाषितुमर्हति क्रियावादम् ॥
२१. जो" अधोलोक में५८ प्राणियों के विवर्तन (जन्म-मरण) को जानता है, जो आस्रव और संवर को जानता है, जो दुःख" और निर्जरा को जानता है, वही क्रियावाद का प्रतिपादन कर सकता है।
२२. सद्देसु रुवेसु असज्जमाणे
रसेसु गंधेसु अदुस्समाणे । णो जीवियं णो मरणाभिकंखे आयाणगुत्ते वलया विमुक्के ।
शब्देषु रूपेषु असजन, रसेषु गन्धेषु अद्विषन् । नो जीवितं नो मरणं अभिकांक्षेत, आदानगुप्तः वलयाद् विमुक्तः ॥
२२. जो शब्दों, रूपों, रसों और गंधों में
राग-द्वेष नहीं करता, जीवन और मरण की आकांक्षा नहीं करता," इन्द्रियों का संवर करता है वह वलय (संसारचक्र) से मुक्त हो जाता है ।
-त्ति बेमि ॥
-इति ब्रवीमि ॥
-ऐसा मैं कहता हूं।
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