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सूयगडो १
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१. वक्रता, टेढ़ापन |
२. गति करना, मुड़ना ।
३. माया ।
वलय ( वक्रता) दो प्रकार का होता है ।
१. द्रव्य वलय — शंख का वलय ।
२. भाव वलय – आठ प्रकार के कर्म, जिनसे प्राणी बार-बार संसार में परिभ्रमण करता है ।
१. संसार के वलय से मुक्त । २. कर्म - बंधन से मुक्त |
'वलय विमुक्के' का अर्थ है – कर्म - बंधन से विमुक्त | जब हम वलय से 'माया' का अर्थ ग्रहण करते हैं, तब इसका अर्थ होगा - माया से विमुक्त । क्रोध, मान, आदि से मुक्त मुनि को भी वलय से विमुक्त कहा जा सकता है ।"
वृत्तिकार ने इसके दो अर्थ किए है'
अध्ययन : १० टिप्पण ८३
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१. चूर्ण, पृ० १६२ : वलयं वक्रमित्यर्थः, द्रव्यवलयं शङ्खकः, भाववलयं अष्टप्रकारं कर्म्म येन पुनः पुनर्वलति संसारे । वलयशब्दो हि बफतायां भवति गतौ च बतायां पालितस्तन्तु बलिता म्युरित्यादि तो बलत पासवसति सार्थ इत्यादि । वलयविमुक्त इति कर्मबंधन विमुक्तः । अथवा वलय इति माया तया च मुक्तः । एवं क्रोधादिमाणविमुक्त इति ।
२. वृत्ति पत्र १२७ बलपात्'संसारबलात् कर्मबन्धनाद्वा विप्रयुक्तः ।
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