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वैतालीय
काश्यप
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मुनि सुव्रत और अहं अरिष्टनेमि के अतिरिक्त शेष सभी तीर्थंकर के हैं। उनका गोत्र काश्यप है। भगवान् ऋषभ का एक नाम काश्यप है। शेष सभी तीर्थंकर इनके अनुवर्ती हैं, इसलिए वे सभी 'काश्यप' कहलाते हैं। काश्यप के द्वारा भगवान् ऋषभ और महावीर का ग्रहण भी होता है । इसका एक कारण यह भी है कि दोनों की साधना पद्धति समान थी। दोनों ने पांच महाव्रतों की साधना-पद्धति का विधान किया था। ऐतिहासिक दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है।
१. छत्र - माया
२. प्रशंसा - लोभ
३. उत्कर्ष मान
४. प्रकाश - क्रोध
इसी अध्ययन के पचासवें श्लोक में प्रयुक्त पांच शब्द बहुत महत्त्वपूर्ण हैं और वे तत्कालीन समाज व्यवस्था और मुनि की आचार-व्यवस्था पर प्रकाश डालते हैं। वे शब्द ये हैं
१. काथिक, २. प्राश्निक, ३. संप्रसारक, ४. कृतक्रिय ५. मामक ।
प्रस्तुत अध्ययन के इकावनवें श्लोक में चार कषायों के वाचक चार नए शब्द प्रयुक्त हुए हैं
इसी प्रकार प्रस्तुत आगम के ६/११ में इन चार कषायों के लिए निम्न चार नाम प्रयुक्त हैं
१. माया -- पलिउंचण ( परिकुंचन )
२. लोभ- भजन
३. क्रोध - स्थंडिल
४. मान- उच्छ्रयण
अध्ययन २ : प्रामुख
बावनवें श्लोक में प्रयुक्त 'सहिए' (सहित) शब्द भी बहुत महत्त्वपूर्ण है । उसकी अर्थ-परम्परा पर ध्यान देने से कुछेक योग प्रक्रियाओं पर प्रकाश पड़ता है । देखें - टिप्पण |
सत्तावनवें श्लोक की व्याख्या में चूर्णिकार ने ऐतिहासिक जानकारी देते हुए पूर्वदिशा निवासी आचार्यों और पश्चिमी दिशा निवासी आचार्यों के अर्थभेद का उल्लेख किया है ।
चौसठवें और पैसठवें श्लोक में सूत्रकार ने एक चिरंतन प्रश्न की चर्चा की है। वह प्रश्न है— वर्तमान प्रत्यक्ष है । किसने देखा है परलोक | इस चितन के गुण-दोष की चर्चा वहां की गई है ।
धर्म की आराधना गृहवास में भी हो सकती है। इस तथ्य का स्पष्ट प्रतिपादन सड़सठवें श्लोक में प्राप्त है ।
इसी प्रकार प्रस्तुत अध्ययन में एकत्व भावना, अशरण भावना, अनित्य भावना आदि का सुन्दर विवेचन प्राप्त है । इसमें ब्रह्मचर्यं कर्म विपाक, शिक्षा, अनुकूलपरीष, मान-विसर्जन कर्म-अचय, सत्योपक्रम, धर्म की पैकालिकता, आदि महत्त्वपूर्ण विषयों का श्री सुन्दर समावेश है।
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एक शब्द में कहा जा सकता है कि यह अध्ययन वैराग्य को वृद्धिगत करने और संबोधि को प्राप्त कर समाधिस्थ होने के सुन्दर उपायों को निर्दिष्ट करता है।
पहला अध्ययन तात्विक है और यह अध्ययन पूर्णत: आध्यात्मिक तथ्यों का प्रतिपादक है ।
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