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एक्कारसमो समवायो : ग्यारहवां समवाय
उसो!
मूल संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद १. एक्कारस उवासगपडिमाओ एकादश उपासकप्रतिमाः प्रज्ञप्ताः, १. उपासक की प्रतिमाएं ग्यारह हैं,'
पण्णत्ताओ, तं जहा-दसणसावए, तद्यथा-दर्शनश्रावकः, कृतव्रतकर्मा, जैसे-१. दर्शनश्रावक । २. कृतव्रतकयन्वयकम्मे, सामाइअकडे, कृतसामायिकः, पोषधोपवासनिरतः, कर्म । ३. कृतसामायिक । ४. पोषधोपपोसहोववासनिरए, दिया बंभयारी दिवा ब्रह्मचारी रात्रौ कृतपरिमाणः, वासनिरत। ५. दिन में ब्रह्मचारी और रति परिमाणकडे, दिआवि दिवापि रात्रावपि ब्रह्मचारी अस्नायी रात्रि में अब्रह्मचर्य का परिमाण करने राओवि बंभयारी असिणाई विकटभोजी कृतमौलिः, परिज्ञातसचित्तः, वाला। ६. दिन और रात में ब्रह्मचर्य का वियडभोई मोलिकडे, सचित्त- परिज्ञातारम्भः, परिज्ञातप्रेष्य, परिज्ञात- पालन करने वाला, स्नान न करने परिणाए, आरंभपरिणाए, उद्दिष्टभक्तः, श्रमणभूतः चापि भवति, वाला, दिन में भोजन करने वाला और पेसपरिणाए, उद्दिट्ठभत्तपरिणाए, श्रमण ! आयुष्मन् !
कच्छ न बांधने वाला। ७. सचित्तसमणभूए यावि भवइ समणा
परित्यागी। ८. आरम्भ-परित्यागी। ६. प्रेष्य-परित्यागी। १०. उद्दिष्ट-भक्तपरित्यागी। ११. श्रमणभूत।
आयुष्मन् श्रमणो ! उपासक
ग्यारह प्रतिमाओं से सम्पन्न होता है। २. लोगंताओ णं एक्कारस एक्कारे लोकान्तात् एकादश एकादश योजनशतं २. लोकान्त और ज्योतिष्-चक्र के पर्यन्त
जोयणसए अबाहाए जोइसंते अबाधया ज्योतिषान्तं प्रज्ञप्तम् । (छोर) में ११११ योजन का अंतर
पण्णत्ते। ३. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य ३. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत के ११२१
एक्कारस एक्कवीसे जोयणसए एकादश एकविंशति योजनशतं अबाधया योजन के अन्तर से ज्योतिष-चक्र परिप्रबाहाए जोइसे चारं चरइ। ज्योतिषं चारं चरति।
भ्रमण करता है। ४. समणस्स णं भगवओ महावीरस्स श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य एकादश ४. श्रमण भगवान् महावीर के ग्यारह
एक्कारस गणहरा होत्या, तं गणधरा आसन, तद्यथा-इन्द्रभूतिः गणधर थे, जैसे- इन्द्रभूति, अग्निभूति, जहा-इंदभूती अग्गिभूतो वायुभूति अग्निभतिः वायभूतिः व्यक्तः सुधर्मा
वायुभूति, व्यक्त, सुधर्मा, मंडित, मौर्यविअत्ते सुहम्मे मंडिए मोरियपुत्ते मण्डितः मौर्यपुत्रः अकम्पितः अचल- पुत्र, अकंपित, अचलभ्राता, मेतार्य और अकंपिए अयलभाया मेतज्जे भ्राता मेतार्यः प्रभासः ।। पभासे।
प्रभास।
एक्कारसतारे मुलं नक्षत्र एकादशतारं प्रज्ञप्तम् ।
५. मुले नक्खत्ते
पण्णते।
५. मूल नक्षत्र के तारे ग्यारह हैं।
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