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________________ समवायो ४०० प्रकोणक समवाय : टिप्पण ८२-८६ होगा कि मूलतः दोनों स्थानों में ही 'पहरणे' पाठ रहा है, किन्तु लिपि-परिवर्तन के काल में 'पहरणे' का 'पहराए' पाठ हो गया है प्राचीनलिपि उत्तरकालीनलिपि पहराए। (पहरणे) पहराए प्राचीनलिपि में एक एकार की मात्रा वर्ण के पूर्व लिखी जाती थी और एकार के आगे एक मात्रा और लिखने पर 'ण' का आकार बन जाता था। इस सादृश्य के कारण प्रस्तुत पाठ में परिवर्तन हुआ, यह मानना कोई जटिल परिकल्पना नहीं है। ५२. सू० २४६ : हरिवंशपुराण (६०/२६१, २६२ में ये नाम इस प्रकार हैं१. अश्वग्रीव २. तारक ३. मेरुक ४. निशुंभ ५. मधुकैटभ ६. बलि ७. प्रहरण ८. रावण ६. जरासंध । उत्तरपुराण (पर्व ५७ से ७२) के अनुसार ये नाम इस प्रकार हैं १. अश्वग्रीव २. तारक ३. मधु ४. मधुसूदन ५. दमितारि ६. निशुंभ ७. बलीन्द्र ८. रावण ६. जरासंध । ८३. सू० २४८: प्रवचनसारोद्धार (गाथा २६६-२६८) में इनके नाम इस प्रकार हैं १. बालचन्द्र २. श्रीसिचय ३. अग्निषेण ४. नन्दिषेण ५. श्रीदत्त ६. व्रतधर ७. सोमचन्द्र ८. दीर्घ सेन ६. शतायु १०. सत्यकी ११. युक्तिषेण १२. श्रेयांस १३. सिंहसेन १४. स्वयंजल १५. उपशान्त १६. देवसेन १७. महावीर्य १८. पार्श्व १९. मरुदेव २०. श्रीधर २१. स्वामिकोष्ठ २२. अग्निसेन २३. अग्रदत्त (मार्गदत्त) २४. वारिसेन । ८४. स० २४६ : उत्तरपुराण (७/४६३-४६६) के अनुसार आगामी उपिणी में सोलह कुलकर होंगे । उनके नाम इस प्रकार हैं १. कनक २. कनकक्रय ३. कनकराज ४. कनकध्वज ५. कनकपुंगव ६. नलिनपुत्र ७. नलिनपुत्र ८. नलिनराज ६. नलिनध्वज १०. नलिनपुंगव ११. पद्म १२. पद्मप्रभ १३. पद्मराज १४. पद्मध्वज १५. पद्मपुंगव १६. महापद्म । २५. स० २५० स्थानांग १०/१४४ में ये नाम कुछ व्यत्यय के साथ मिलते हैं १. सीमंकर २. सीमंधर ३. क्षेमंकर ४. क्षेमंधर ५. विमलवाहन ६. सम्मति ७. प्रतिश्रुत ८. दृढ़धनु ६. दशधनु १०. शतधनु। ८६. सू०२५१. उत्तरपुराण (७६/४७७-४८१) में ये नाम इस प्रकार उल्लिखित हैं१. महापद्म २. सुरदेव ३. सुपार्श्व ४. स्वयंप्रभ ५. सर्वात्मभूत ६. देवपुत्र ७. कुलपुत्र ८. उदक . प्रोष्ठिल १०. जयकीति ११. मुनिसुव्रत १२. अरनाथ १३. अपाय १४. निष्कषाय १५. विपुल १६. निर्मल १७. चित्रगुप्त १८. समाधिगुप्त १६. स्वयंभू २०. अनिवर्ती २१. विजय २२. विमल २३. देवपाल २४ अनन्तवीर्य । प्रवचन सारोद्धार (२६३-२६५) में ये नाम इस प्रकार हैं१. पद्मनाभ २. सुरदेव ३. सुपार्श्व ४. स्वयंप्रभ ६. देवश्रुत ७. उदय . पेढाल ६. पोट्टिल १०. शतकीर्ति ११. मुनिसुव्रत १२. अमम १३. निष्कषाय १४.निष्पुलाक १५. निर्मम १६. चित्रगुप्त १७. समाधि १८. संवरक १६. यशोधर २०. विजय २१. मल्लि २२. देवजिन २३. अनन्तवीर्य २४. भद्रजिन । हरिवंशपुराण ६०/५२८-५६२ (भद्रकृत) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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