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________________ समवाश्रो ३५३ भवतियमस्सआहारग- यदि गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीरं, सरीरे, कि कम्मभूमगगन्भवक्कं किं कर्मभूमिकगर्भावक्रान्तिकमनुष्यतियमणुस्स आहार यसरी रे ? आहारकशरीरम् ? अकर्मभूमिकअम्मभूमभवक्कं तियमणुस्स गर्भावक्रान्तिक- मनुष्य आहारकशरीरम् ? आहार यसरी रे ? गोयमा ! कम्मभूमग- गन्भववकं - गौतम ! कर्मभूमिक-गर्भावक्रान्तिकनो मनुष्यआहारकशरीरं, नो अकर्मभूमिकगर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् । तिय मणुस्स आहार यसरीरे, अकम्मभूम गगन्भववकं तियमणुस्सआहार यसरी रे । जइ कम्मभूमग-गन्भवक्कंतिय- यदि कर्मभूमिक- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं, कि संख्येयवर्षायुष्कगर्भावक्रान्तिकमनुष्यकर्मभूमिक भक् तियमणुस्स आहारय आहारकशरीरम् ? असंख्येयवर्षायुष्कसरीरे ? असंखेज्जवासाउयकम्म- कर्मभूमिक गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहार यसरी रे, संखेज्जवासाउय कि कम्मभूमग - - भूमग भवक्कं तियमणस्स आहारकशरीरम् ? आहारय सरीरे ? - गोयमा ! संखेज्जवासाज्यकम्म- गौतम ! संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिकभूमग भववतियमणुस्स गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीरं, नो आहार यसरीरे, नो असंखेज्ज - असंख्येयवर्षायुष्क कर्मभूमिवासाज्य-कम्मभूमग - गब्भवक्कं- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् ? तियमणुस्स आहारय सरीरे । जइ संखेज्जवासाज्य - कम्मभूमगभववकं तियमणुस्स आहारय: सरीरे, कि पज्जत्तय संखेज्जवासाउय कम्मभूमग - गब्भवक्कंतियमस्स आहारयसरी रे ? अपज्जतय संखेज्जवासाज्य कम्मभूमग गन्भवक्कंतियमणुस्स आहारय सरीरे ? - Jain Education International - गोयमा ! पज्जत्तय संखेज्जवासाउय गौतम ! पर्याप्त क- संख्येय वर्षायुष्क-कर्म भूमिक- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं, नो अपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिक गर्भावान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् । कम्मभूमगगन्भवक्कतियमणुस्सआहारयसरीरे, नो अपज्जत्तयसंखेज्जवासाउय कम्मभूमगभवतियमणुस्स आहारय सरीरे । यदि संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिकगर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीरं, किं पर्याप्तक- संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिकगर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीरम् ? अपर्याप्तक- संख्येयवर्षायुष्क- कर्मभूमिकगर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीरम् ? For Private & Personal Use Only प्रकीर्णक समवाय: सू० १६४ भंते! यदि गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है तो क्या वह कर्मभूमिजगर्भावक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर है या अकर्मभूमि- गर्भावान्तिकमनुष्यनाहारकशरीर ? गौतम ! वह कर्मभूमि- गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है, अकर्म भूमिज - गर्भावान्तिक मनुष्य आहारक शरीर नहीं है । भंते! यदि कर्मभूमिज गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है तो क्या वह संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहार कशरीर है या असंख्येय वर्षायुष्क - कर्मभूमिज गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारक शरीर ? गौतम ! वह संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज गर्भावान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है, असंख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिजगर्भावान्तिक मनुष्य आहारकशरीर नहीं भंते ! यदि संख्येयवर्षायुष्क-कर्म भूमिजगर्भावान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है तो क्या वह पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिज गर्भावान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है या अपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है ? - - गौतम ! वह पर्याप्तक-संख्येय वर्षायुष्ककर्मभूमिज गर्भावान्तिक मनुष्यआहारक- शरीर है, अपर्याप्तक- संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीर नहीं है । - www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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